हरतालिका तीज पूजा विधि Hartalika Teej Puja Vidhi
Hartalika Teej शास्त्रों की माने तो हरतालिका तीज व्रत एक प्रमुख व्रत है। जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है मान्यता है की भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन विशेष महत्व रखता है। यह व्रत सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा निराहार और निर्जल किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत के प्रभाव से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज हम आपको हरितालिका तीज व्रत की शुभ तिथि मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताएँगे.
हरतालिका तीज तिथि व शुभ मुहूर्त hartalika Teej Tithi Shubh Muhurt 2019
- साल 2019 में हरतालिका तीज का व्रत 1 सितम्बर रविवार के दिन रखा जाएगा.
- तृतीया तिथि शुरू होगी 1 सितम्बर रविवार प्रातःकाल 8 बजकर 27 मिनट पर|
- तृतीया तिथि समाप्त होगी 2 सितम्बर सोमवार प्रातःकाल 4 बजकर 57 मिनट पर|
- हरतालिका व्रत प्रातःकाल की पूजा का शुभ मुहूर्त होगा 8 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 34 मिनट तक|
- हरतालिका व्रत प्रदोषकाल पूजा का शुभ समय होगा 6 बजकर 39 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक|
- प्रदोषकाल पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 17 मिनट की होगी.
हरतालिका तीज व्रत के नियम Hartalika Teej Worship Tips
शास्त्रों में प्रत्येक व्रत उपवास के कुछ जरूरी नियम बताये जाते है हरतालिका तीज व्रत के भी कुछ खास नियम है जिनका पालन व्रती को इस दिन अवश्य करना चाहिए.
- हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जल रहकर किया जाता है।
- जो स्त्री या कन्या इस व्रत को करती है उन्हें हर साल इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
- हरतालिका तीज व्रत में रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- इस तीज व्रत को कुंवारी कन्याये, सौभाग्यवती महिलाये कर सकती है.
- हरतालिका तीज व्रत की पूजा मंदिर तथा घर दोनों स्थान में की जा सकती है.
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि Hartalika Teej Puja Vidhi
हरतालिका तीज का व्रत शौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है इसदिन माता पार्वती और भगवान शंकर की विधिवत पूजा का विधान है. हरतालिका तीज व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है। शास्त्रों की माने तो सूर्यास्त के बाद का तीन मुहूर्त प्रदोषकाल कहलाता है यह दिन और रात के मिलने का समय होता है। व्रत की पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनायी जाती है पूजा स्थल की सजावट कर एक चौकी पर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद धुप दीप जलाकर सभी देवी देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. सुहाग की सभी सामग्री माता पार्वती को अर्पित कर सौभाग्य की कामना करनी चाहिए और व्रत कथा पढ़नी चाहिए पूजा के बाद सुहाग का सामान ब्राह्मणी को दान देना चाहिए।
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हरतालिका तीज व्रत महत्व Hartalika Teej Importance
हरतालिका तीज व्रत शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है. पौराणिक कथा के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने एक शिवलिंग का निर्माण कर भोलेनाथ की आराधना और कठोर तपस्या की थी उनके कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया। जिस कारण इस दिन से ही सुयोग्य वर और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. कहा जाता है की इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को सौभाग्य प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है और कुंवारी कन्याओं सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.