वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि व नियम Vat Purnima Vrat Puja Vidhi and Rules
वट पूर्णिमा- शास्त्रों के अनुसार जिस तरह वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है ठीक वैसे ही कुछ जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री पूर्णिमा व्रत किया जाता है है यह दिन सभी सुहागन महिलाओ के लिए ख़ास होता है क्योकि इस दिन सभी सुहागन महिलाये पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर बरगद के वृक्ष और सावित्री सत्यवान की पूजा करती है. लेकिन ज्योतिष अनुसार इस साल वट पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया रहेगा जिस कारण विशेषकर व्रत करने वाले लोगोको पूजा पाठ के दौरान विशेष ध्यान रखना होगा आज हम आपको साल 2020 में ज्येष्ठ वट पूर्णिमा व्रत पर चंद्रग्रहण के दौरान किस तरह पूजा करनी है और किन नियमो का पालना करना है इस बारे में बताएँगे.
वट पूर्णिमा व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Vat Purnima Vrat Shubh Muhurat 2020
- साल 2020 में वट पूर्णिमा का व्रत 5 जून शुक्रवार के दिन रखा जाएगा|
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगी – 5 जून शुक्रवार प्रातःकाल 03:15 मिनट पर|
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी- 5 जून शनिवार प्रातःकाल 12:41 मिनट पर|
चंद्र ग्रहण और सूतक काल का समय Chandra grahan Sutak Kaal
साल 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण 5 जून रात्रि 11 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगा और 6 जून सुबह 02:32 मिनट पर समाप्त होगा| ज्योतिष अनुसार ग्रहण रात 12 बजकर 54 मिनट पर अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। इस चंद्रग्रहण ग्रहण काल की कुल अवधि 03 घंटे 15 मिनट की होगी। ज्योतिष की माने तो यह ग्रहण काफी संवेदनशील होगा। जिसे भारत में भी देखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा. लेकिन यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा जिस कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
वट पूर्णिमा पूजन विधि Vat Purnima Vrat Puja Vidhi
पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है है लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है जो सावित्री सत्यवान को समर्पित है इसीलिए आज के दिन भगवान सत्यनारायण जी के साथ ही बरगद के वृक्ष और सावित्री सत्यवान की पुजा करने का भी विधान है वट पूर्णिमा व्रत के दिन स्नान कर व्रत का संकल्प लेकर एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज और एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री सत्यवान की प्रतिमा रखे और बरगद वृक्ष को जल का अर्घ्य देकर विधिवत्त पूजा कर ले सभी पूजन सामग्री वृक्ष पर चढाने के बाद सूत के धागे को वट वृक्ष के पांच, सात या बारह चक्कर लगाते हुए लपेटकर बांध ले. हर परिक्रमा पर एक चना वट वृक्ष में चढ़ाती जाय अब शाम के समय व्रत कथा पढ़कर सभी इ चने व गुड् का प्रसाद बाँट ले.
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वट पूर्णिमा चंद्रग्रहण नियम Importance of Vat Purnima Vrat niyam
ज्येष्ठ माह की वट पूर्णिमा तिथि की रात में चंद्रग्रहण रहेगा जो की उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा इसका सूतक मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्तिथि में आपको कुछ बातो का ख्याल रखना चाहिए. आइये जानते है इस दौरान क्या करे क्या न करे.
- यह व्रत सुहाग की कामना से रखा जाता है भले ही चंद्रग्रहण रात में है लेकिन चंद्रग्रहण के समय भगवान की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए इसीलिए वट पूर्णिमा की पूजा के बाद मंदिर को ढक दे.
- वट पूर्णिमा के व्रत में घर का माहौल और वातावरण शुद्ध और शांत रखे किसी भी तरह अशुद्धि और घर में कलेश का वातावरण न होने दे.
- वैसे तो ये उपच्छाया चंद्रग्रहण है जिस कारण इसका सूतक मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी चंद्रग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले व्रत की पूजा व कथा अदि का पाठ संपन्न कर ले.
- जो भी लोग वट पूर्णिमा का व्रत रख रहे है विषेषकर वे लोग आज के दिन तामसिक भोजन से परहेज करते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करे.
- ध्यान रखे की चंद्रग्रहण की अवधि के दौरान भोजन आधी ग्रहण न करे.
- इस समय बाल व नाखून काटने जैसे कायो को भी नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण वृश्चिक राशि पर लग रहा है इसीलिए वृश्चिक राशि के जातको को खास सावधानी रखनी है ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए लगातार मंत्रो का जाप करते रहे.
- मान्यता है की वट पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु जी के साथ लक्ष्मी जी की पूजा जरूर करनी चाहिए साथ ही भगवान विष्णु जी का दक्षिणावर्ती शंख से दूध मिले जल से अभिषेक करना अति उत्तम मना जाता है.
- आज के दिन बरगद के वृक्ष पर लाल या पीला रंग का सूट लपेटने से अखंड सौभग्य की प्राप्ति होती है.
- अखंड सौभाग्य और पारिवारिक सुख के लिए यदि आज के दिन अक्षय वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करे.