Varuthini Ekadashi Vrat Katha | वरुथिनी एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Katha

वरुथिनी एकादशी की कहानी Varuthini Ekadashi Vrat Katha  

Varuthini Ekadashi Vrat Katha Varuthini Ekadashi Vrat Katha वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में यह एकादशी सबसे कल्याणकारी एकादशी मानी जाती है इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है यह व्रत सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इस व्रत को करने से कन्या दान करने और हजारों वर्षों का तप करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजन कर एकादशी महात्म की कथा पढ़नी चाहिए तथा विष्णु मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना चाहिए ।

आइये सुनते है वरुथिनी एकादशी व्रत कथा|

एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान ​श्रीकृष्ण से कहा कि हे प्रभु आप वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत कथा और इसके महत्व के बारे में बताएं. तब भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा के बारे में बताया।

प्राचीन काल में मान्धाता नाम का एक राजा नर्मदा नदी के तट पर राज्य करता था। वह बहुत ही तपस्वी तथा दानशील राजा था। एक दिन वह जंगल में तपस्या करने के लिए चला गया। और एक स्थान पर तपस्या करने लगा, तभी वहां एक भालू आया और राजा मान्धाता के पैर को चबाने लगा, लेकिन राजा तपस्या में लीन रहा। भालू राजा को घसीटने लगा और जंगल के अंदर लेकर चला गया।

भालू के इस व्यवहार से राजा बहुत डर गया था। उसने मन ही मन भगवान विष्णु से रक्षा के लिए प्रार्थना की। भक्त की पुकार सुनकर भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और भालू को मारकर राजा के प्राण बचाए। भालू ने राजा का पैर खा लिया था, इससे राजा बहुत दुखी था। तब भगवान विष्णु ने राजा से कहा कि तुम दुखी मत हो। इसका एक उपाय है।

तुम मथुरा जाकर वरूथिनी एकादशी का व्रत करो, वहां पर मेरी वराह अवतार की मूर्ति की आराधना करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम ठीक हो जाओगे। तुम्हारे पूर्व जन्म के पाप कर्म के कारण ही भालू ने तुम्हारा पैर खा लिया। मेरे द्वारा बताए गए इस उपाय को करो। प्रभु की बातें सुनकर राजा ने मथुरा जाकर वरूथिनी एकादशी का फलाहार व्रत किया।

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वहां पर उसने भगवन विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति की विधि विधान से पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से राजा फिर से सुंदर शरीर वाला हो गया। मृत्यु के पश्चात उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। मान्यता है की इस प्रकार से जो भी वरूथिनी एकादशी व्रत रखता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

तो इसी के साथ ये कथा यही पर ही संपन्न होती है बोलो विष्णु भगवान् की की जय ||

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