Shani Trayodashi Pradosh Vrat 26 May 2018 पूजा विधि शुभ मुहूर्त

शनि त्रयोदशी प्रदोष व्रत 26 मई  Vrat Puja Vidhi Katha Muhurt 2018 –

Shani Trayodashi Pradosh Vrat Shani Trayodashi Pradosh Vrat शास्त्रों में व्रत उपवास का बहुत महत्व है प्रत्येक माह की हर तिथि अपने आप में एक ख़ास महत्व रखती है लेकिन कुछ ऐसी तिथियां है जिनमें व्रत रखने के काफी शुभ फल प्राप्त होते है इन्हीं महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है त्रयोदशी तिथि. जिसे  हम प्रदोष व्रत के नाम से भी जानते है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने का विधान है. प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आते है मान्यता है की इस व्रत को करने से चार धाम करने के बराबर पुण्य मिलता है. आज हम आपको शनि प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त, व्रत की पूजा विधि, और इसके महत्व के बारे में बताएँगे.

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प्रदोष काल क्या है इसका महत्व Importance of Shani Trayodashi Pradosh Vrat –

सूरज के अस्त होने का समय और रात्रि के आगमन का समय प्रदोष काल कहलाता ही. मई 2018 में ये व्रत 26 मई शनिवार को है. त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में पूजा करने का विशेष महत्व है शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की प्रदोष काल में भगवान शिव साक्षात अवतरित होते हैं और इस समय यदि उनकी पूजा अर्चना की जाय तो व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है और सारे कष्टों का निवारण होता है.

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय Pradosh Vrat Puja Timing Date –

इस दिन सभी शिव मंदिरों में शिव-पार्वती की पूजा आराधना की जाती है शास्त्रों में प्रदोष व्रत Shani Trayodashi Pradosh Vrat की पूजा के लिए सबसे शुभ समय सूर्यास्त हो जाने के बाद प्रदोष काल माना गया है. शनि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 26 मई 2018 शनिवार के दिन 19 :07 मिनट से 21 बजकर 11 मिनट तक का होगा.

प्रदोष व्रत पूजन विधि Shani Pradosh Vrat Worship Process –

व्रत के दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान शिव और उनके परिवार का स्मरण करे. कई लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते है पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने के बाद शाम के समय जब प्रदोष काल शुरू हों फिर से स्नान करके पूजा करनी चाहिए. मंडप बना कर शिव परिवार की मूर्ति या फोटो और कलश स्थापना करे. गणपति जी के आह्वाहन के साथ सभी देवी देवताओं की पूजा करे. भगवान शिव को स्नान कराकर धूप दीप, चंदन रोलि, अक्षत, और पुष्प अर्पित करें. इस दिन शिवजी को चावल की खीर का भोग अवश्य लगाए. पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से भगवान शिव भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते है.

प्रदोष व्रत का उद्यापन Pradosh Vrat Udhyapan Vidhi –

जो भी लोग प्रदोष व्रत को ग्यारह या 26 त्रयोदशी तक रखते हैं कहा जाता है की उन्हें इस व्रत का उद्यापन विधिवत तरीके से अवश्य ही करना चाहिए. इस व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि Shani Trayodashi Pradosh Vrat के दिन किया जाता है उद्यापन के एक दिन पहले श्री गणेश जी की पूजा का विधान है और उसके अगले दिन 108 बार शिव पार्वती के मन्त्रों का जाप कर हवन करना चाहिए अंत में ब्रह्माणों को भोजन कराकर उन्हें अपनी सामर्थ्य  और सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देनी चाहिए.

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