ज्येष्ठ अमावस्या शनि जयंती 2022 Shani Jayanti Date Time 2022  

शनि जयंती सुख समृद्धि उपाय Shani jayanti Upay 2022

Shani Jayanti Date Time 2022  Shani Jayanti Date Time 2022   पंचांग के अनुसार हर साल जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है की ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन ही न्याय के देवता शनिदेव का जन्म हुआ था। इसे शनि अमावस्या या शनि जयंती के नाम से जाना जाता है इसी दिन वट सावित्री व्रत भी किया जाता है. शनि दोषो को दूर करने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद ही शुभ होता है। साल 2022 में साल की सबसे बड़ी शनि अमावस्या पर कई सालो बाद सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. इसी दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जायेगा जिस कारण यह दिन बेहद खास होगा. आज हम आपको साल 2022 शनि जयंती कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शनिदेव की पूजा में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताएँगे.

शनि जयंती शुभ मुहूर्त 2022 Jyestha Amavasya 2022 Date

  1. साल 2022 में ज्येष्ठ मास की अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत 30 मई सोमवार को है.
  2. अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 29 मई दोपहर 02:54 मिनट पर|
  3. अमावस्या तिथि समाप्त होगी- 30 मई शाम 04:59 मिनट पर|

शनि जयंती शुभ योग 2022 Shani Jayanti Shubh Yog

इस बार शनि जयंती का दिन काफी शुभ होगा क्योंकि इस बार शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या के साथ-साथ वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। ज्योतिष अनुसार ऐसा संयोग करीब 30 सालों बाद बन रहा है। जब शनिदेव अपनी राशि कुंभ राशि में रहेंगे। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा.

शनि जयंती पूजा विधि Shani Amavasya Pooja Vidhi

Shani Jayanti Date Time 2022  शास्त्रों के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन माना गया है. इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. शनि जयंती के दिन सबसे पहले स्नान करे. इसके बाद शनिदेव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करें। अब एक चौकी में साफ नया काले रंग का वस्त्र बिछाकर शनिदेव के प्रतीक के रूप में सुपारी रखे. इसे पंचगव्य और पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाने के साथ नीले रंग के पुष्प अर्पित करें। पूजा में शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, चढ़ाये. इसके बाद दीपक जलाकर शनिदेव का ध्यान करते हुए शनि चालीसा व शनि मंत्रो का जाप करे. अंत में आरती कर सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करे.

शनिपूजा के नियम Shani dev Puja Niyam

शास्त्रों में शनि देव को न्याय के देवता और नव ग्रहो में सबसे शक्तिशाली माना जाता है है ऐसी मान्यता है कि वह व्यक्ति को उसके अच्छे बुरे कर्मो का फल देते हैं. कोई भी काम उनसे छिपा नहीं रह सकता इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व और कुछ विशेष नियम है तो आइये जानते है शनि अमावस्या पर कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं.

इसे भी पढ़े – जानें अपना वार्षिक राशिफल 2022.

  1. कथाओ के अनुसार शनि अमावस्या, शनि जयंती पर विशेष रूप से शनिदेव की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते है.
  2. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना गया है की शनिदेव की पूजा में किसी भी तरह की अशुद्धता नहीं रखनी चाहिए.
  3. मान्यता है की शनि देव की प्रतिमा के दर्शन करते समय उनकी आंखों में देखने से बचना चाहिए.
  4. शास्त्रों के अनुसार शनिदेव की पूजा में उन्हें लाल रंग के पुष्प नहीं चढाने चाहिए बल्कि उन्हें उनके प्रिय नीले रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए.
  5. मान्यता है की शनि अमावस्या पर शनि देव के साथ हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोषो से छुटकारा मिलता है।
  6. मान्यता है की शनि देव की पूजा पश्चिम दिशा में करनी चाहिए क्योकि पश्चिम दिशा शनि देव की ही दिशा मानी जाती है.
  7. शनिदेव की पूजा में काले तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए.
error: