सावन माह इन बातों का रखे धयान Sawan Puja Niyam
Sawan Puja Niyam 14 जुलाई से श्रावण माह की शुरुवात हो चुकी है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है इस पूरे महीने भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं इस बार सावन माह में कई बड़े और अद्भुद संयोग बन रहे है जिस कारन इस माह का महत्व कहीं अधिक होगा. शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की सावन महीने का सोमवार हो या फिर किसी अन्य मास का सोमवार, इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर उन्हें गंगाजल, अक्षत्, दूध, धतूरा आदि चीजें अर्पित कर प्रसन्न किया जाता है लेकिन वही शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसी भी चीजे है जो भगवान शिव की पूजा में वर्जित मानी जाती है आज हम आपको भगवान शिव की पूजा में वर्जित इन्ही 5 चीजों के बारे में बताएँगे.
तुलसी के पत्ते Sawan Somwar Niyam
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित माना जाता है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु जी की पूजा तो तुलसी बिना पूर्ण नहीं मानी जाती है लेकिन भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल या तुलसी पत्र का प्रयोग वर्जित माना गया है।
हल्दी Sawan Somwar Niyam
धार्मिक मान्यता है की शिव जी को कभी भी उनकी पूजा में हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए क्योंकि मुख्य रूप से हल्दी का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, ऐसे में शिव जी की पूजा में हल्दी का उपयोग करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। इसके अलावा हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योकि शिवलिंग पर हमेशा ठंडी चीजें जैसे बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, कच्चा दूध ही अर्पित किया जाता है.
कुमकुम या सिंदूर Sawan Somwar Niyam
मान्यता अनुसार सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु और निरोगी जीवन की कामना हेतु मांग में सिंदूर भरती हैं और साथ ही कई देवी देवताओ को अर्पित करती है लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुमकुम या सिंदूर भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है क्योकि शिव वैरागी और विनाशक हैं, इसीलिए ऐसा माना जाता है की भगवन शिव की पूजा में शिवलिंग पर कुमकुम रोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि सिन्दूर कुमकुम या रोली की जगह महादेव को चन्दन का तिलक करना लाभकारी होता है.
केतकी के पुष्प Sawan Somwar Niyam
पौराणिक कथा अनुसार एकबार केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया था, जिस कारण केतकी के फूल से रुष्ट होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी भी केतकी के फूल अर्पित नहीं किये जायेंगे. इसी श्राप के बाद से शिवजी को उनकी पूजा में केतकी के फूल अर्पित करना वर्जित माना जाता है.
शंख का जल Sawan Somwar Niyam
Sawan Puja Niyamप्राचीन कथा अनुसार एकबार दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से परेशान देवता भगवान शंकर के पास पंहुचे और भगवान शिव ने दैत्य शंखचूड़ का वध किया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया मान्यता है की उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।
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टूटे हुए चावल Sawan Somwar Niyam
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव पर चावल यानि अक्षत अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है लेकिन भोलेनाथ को अक्षत अर्पित करने से पहले इस बात का ध्यान रखे की कभी भी उन्हें खंडित या टूटा हुआ चावल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योकि टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना गया है मान्यता है की जो जातक शिवजी को अखंड और धुले हुए साफ़ चावल चढ़ाता है तो उसे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।