संकट चौथ तिल चौथ शुभ मुहूर्त 2021 | Sankashti Chaturthi 2021 Date Time

संकट तिल चौथ पूजन विधि Sakat Chauth Til Chauth Puja Vidhi

भगवान श्री गणेश जी प्रथम पूज्य और मंगलमूर्ति है शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले शुभता के प्रतीक और सुख समृद्धि के दाता श्री गणेश का ही पूजन किया जाता है कहा जाता है की इनके पूजन के बिना कोई भी कार्य और इच्छा पूरी नहीं होती है. यूँ तो हर माह चतुर्थी तिथि पड़ती है लेकिन अगर बात करे माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की तो लोकप्रिय भाषा में इसे संकट चतुर्थी या तिल चौथ भी कहा जाता है. इस दिन श्री विध्नहर्ता गणेश जी की पूजा अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर हो जाते है. आज हम आपको साल 2021 माघ माह संकट चौथ व्रत की शुभ तिथि मुहूर्त और इसकी पूजा विधि के बारे में बताएँगे.

संकट चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2021 Sankashti Chaturthi Date Time Shubh Muhurat 2021

  1. साल 2021 संकट चौथ या तिल चौथ 31 जनवरी रविवार को है.
  2. चतुर्थी तिथि शुरू होगी – 31, जनवरी रात्रि 08:24 मिनट पर|
  3. चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – 01, फरवरी सायंकाल 06:24 मिनट पर|
  4. सकट चौथ चन्द्रोदय का समय होगा – 31, जनवरी रात्रि 08:40 मिनट पर|

संकट तिल चौथ पूजन विधि Sankashti Chaturthi Pooja Vidhi 2021

संकट चौथ का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है इसे माघी चौथ, व्रकतुंडी व्रत या तिलकुट चौथ भी कहते है यह व्रत महिलाओं द्वारा निर्जल रखा जाता है इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है व्रत केदिन स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प कर तारों की छांव में व्रत का आरम्भ करे और पूरे दिन निराहार रहते हुए रात्रि में चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करे सबसे पहले एक चौक पर मिटटी से बनी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर प्रतिमा का श्रृंगार करे अब उन्हें अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, सुपारी धूप दीप अर्पित करे. पूजा में “ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करते हुए नैवेद्य के रूप में तिल तथा गुड़ के बने हुए लड्डु भोग के रूप में अर्पित करे. अंत में व्रत कथा पढ़कर आरती कर ले.

चंद्र पूजन विधि Sankashti Chaturthi Chandroday Pooja Muhurat 2021

संकट चौथ का व्रत रात्रि में चंद्र पूजन के बाद ही संपन्न होता है इस दिन चाँद की पूजा का विशेष महत्व है. चतुर्थी के दिन चाँद निकलने के पश्चात चन्द्रमा को दूध मिले जल से अर्घ्य देते हुए तिल, गुड़ व दूर्वा अर्पित करे और उनके समक्ष धुप दीप प्रज्वलित करते हुए चंद्र देव से मनोकामना और व्रत की सफलता की कामना करते हुए व्रत पूरा करे.

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संकट चौथ व्रत कथा Sankat Chaturthi Story in Hindi

चौथ की प्रचलित कथाओं में से एक प्रचलित कथा के अनुसार एक बार विपदा में पड़े देवता भगवान शिव के पास अपनी समस्या के निवारण के लिए गए तब भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों से पुछा की तुम दोनों में से कौन वो वीर है जो देवताओं के कष्टों का निवारण करेगा. तब कार्तिकेय ने स्वयं को देवो का सेनापति प्रमाणित करते हुए देव रक्षा का अधिकार सिद्ध किया| भगवान शिव ने गणेश जी की इच्छा पूछी तो उन्होंने कहा की में बिना सेनापति बने ही इनके संकट दूर कर सकता हूँ. इसपर महादेव ने दोनों को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा और कहा की जो पहले परिक्रमा पूरी करेगा वही वीर घोषित किया जाएगा. यह सुन कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश जी ने अपने माता पिता की 7 परिक्रमा करते हुए कहा की इनमे ही समस्त तीर्थ निहित है गणेश जी की बात से सभी नतमस्तक हो गए और महादेव ने उनकी प्रसंशा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया की प्रत्येक कार्य से पहले तुम्हारी पूजा होगी. इसके बाद पिता की आज्ञा से गणेश जी ने देवताओं के संकटो का भी नाश किया.

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