राम नवमी शुभ मुहूर्त 2020 राम जन्म कथा Ram Navami Date Time 2020

राम नवमी व्रत पूजा विधि Ram Navami Kab Hai 2020

राम नवमी का संबंध भगवान विष्णु जी के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। यह पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जिसे हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को मानते है. कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं यह देवी दुर्गा को प्रसन्न करने वाले चैत्र नवरात्रि का आखिरी यानि की नवरात्रि पारण का दिन होता है बहुत से लोगो में रामनवमी की तिथि को लेकर विरोधाभास की स्तिथि बन रही है आज हम आपको साल 2020 राम नवमी पर्व की सही तारीख पूजा का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि के बारे में बताएँगे|

राम नवमी 2020 तिथि व शुभ मुहूर्त Ram Navami Dates 2020

  1. साल 2020 में चैत्र मास राम नवमी का पर्व 2 अप्रैल गुरुवार के दिन मनाया जाएगा |
  2. राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – 2 अप्रैल प्रातःकाल 11:16 मिनट से दोपहर 1:45 मिनट तक होगा |
  3. मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 29 मिनट |
  4. नवमी तिथि आरंभ होगी – 2 अप्रैल गुरुवार प्रातःकाल 03:39 मिनट पर |
  5. नवमी तिथि समाप्त होगी – 3 अप्रैल शुक्रवार प्रातःकाल 02:42 मिनट पर |
  6. जिस कारण नवमी तिथि को ध्यान में रखते हुए रामनवमी का पर्व 2 अप्रैल गुरुवार के दिन मनाया जाना श्रेष्ठ होगा|

राम नवमी पूजा विधि Ram Navami Pooja Vidhi

राम नवमी की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री एकत्रित कर ले और भगवान श्री राम की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करे इसके बाद प्रतिमा को फूल माला से सजाकर सभी पूजन सामग्री भगवन श्री राम को अर्पित करते हुए धुप डीप व आरती कर ले. शास्त्रों के अनुसार श्री राम जी को उनकी पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल चढ़ाना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है आ श्रीराम नवमी की विधिवत पूजा अर्चना कर षोडशोपचार करें। इस दिन भगवन श्री राम को उनकी पूजा में खीर का भोग लगाकर सभी लोगो को खीर का प्रसाद सभी में प्रसाद वितरण करे. क्योकि रामनवमी भगवन श्री राम जी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है इसीलिए आज के दिन उन्हें झूला अवश्य झूलाये.

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रामनवमी पर्व का महत्व Importance of Ram Navmi

राम नवमी का पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को भक्त रामनवमी के रूप में मनाते हैं राम नवमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्ति होती है. मान्यता है की भगवान श्री राम जी ने भी देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनके द्वारा की गयी पूजा से उन्हें विजय प्राप्त हुई थी इसीलिए भी इन दो महत्वपूर्ण त्यौहारों का एक साथ होना इस पर्व के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देता है.

भगवान श्री राम की जन्म कथा Shree Ram Janm Katha

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ बड़े ही पराक्रमी राजा थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी लेकिन उनकी किसी भी रानी को पुत्र नही हुआ जिस कारण वह दुखी रहते थे. जब इस बारे में उन्होंने ऋषि मुनियों से परामर्श लिया तो उन्होंने राजा दशरथ को यज्ञ करवाने को कहा इस यज्ञ के बाद राजा दशरथ को खीर की प्राप्ति हुई। उस खीर को उन्होंने सबसे बड़ी रानी कौशल्या को दिया। कौशल्या ने खीर खाकर आधी खीर कैकयी को दी और कैकयी ने खीर खाकर आधी सुमित्रा को दी। जिसके बाद चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि को भगवान श्री राम का जन्म हुआ। वहीं कैकयी और सुमित्रा ने भी पुत्र को जन्म दिया जिनके नाम भारत लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखे गए. राजा दशरथ के यहां चार पुत्रों ने जन्म लिया। पुराणों के अनुसार भगवान श्री राम ने त्रेतायुग में धरती पर दुष्टों के नाश के लिए जन्म लिया था। उन्होंने अर्धम का नाश करके धरती पर धर्म की स्थापना की थी।

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