बैशाख शुक्ल प्रदोष व्रत 2020 Pradosh Vrat Date Time Muhurat 2020

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि 2020 Bhom Pradosh Vrat Poja Vidhi

प्रदोष व्रतहर महीने की दोनों पक्षों यानि शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. शिव पुराण के अनुसार इस व्रत में  भगवान शिव की पूजा शाम के समय अर्थात प्रदोष काल में की जाती है प्रदोष व्रत जब मंगलवार के दिन पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है।आज हम आपको बैशाख शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्र और प्रदोष के दिन किये जाने वाले महाउपाय के बारे में बताएँगे.

प्रदोष व्रत तिथि Pradosh Vrat April Month Date

  1. साल 2020 वैशाख, शुक्ल माह का प्रदोष व्रत 5 मई मंगलवार के दिन रखा जाएगा.
  2. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त होगा- 5 मई सायंकाल 06:59 मिनट से लेकर 09:06 मिनट तक|
  3. बैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी – 5 मई प्रातःकाल 02:53 मिनटपर |
  4. त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी – 5 मई सायंकाल 11:21 मिनट पर |
  5. सूर्यास्त के बाद और रात के आने से पहला का समय प्रदोष काल कहलाता है. जो शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ समय कहलाता है इसीलिए आज के दिन प्रदोष काल में पूजा की जाती है.

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

मंगलवार के दिन होने के कारण यह भौम प्रदोष होगा इस दिन भगवन शिव की पूजा करने से सुखी जीवन और सभी संकटो का नाश होता है. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर ईशान कोण में शिव जी की स्थापना करें अब भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करे और शिव पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करे क्योकि इसकी पूजा प्रदोष काल मे की जाती है इसीलिए शाम के समय शुभ मुहूर्त में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर साबुत चावल की खीर का भोग लगाए. इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पण करने से मनोकामना पूरी होती है. अंत में भौम प्रदोष कथा सुनकर आरती कर ले और सभी में प्रसाद वितरण करे.

भौम प्रदोष का महत्व Importance and Benefits of Pradosh Vrat

त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को बेहद प्रिय है जिस कारण हर महीने आने वाले प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ और पुण्य फलदायी होते है ज्योतिष अनुसार जब मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है, तब यह व्रत रखा जाता है। मंगल ग्रह का एक अन्य नाम भौम भी है। जिस कारण आज के दिन व्रत व शिव पूजन से हर तरह के कर्ज से छुटकारा दिलाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुखी गृहस्थ जीवन की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Udhyapan Vidhi

जो भी लोग प्रदोष का व्रत 11 या फिर 26 त्रयोदशी तक रखते हैं तो शास्त्रों के अनुसार उन्हें व्रत का उद्यापन भी पूरे विधि विधान से अवश्य करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना शुभ होता है. उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप कर हवन कर ले.  हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे. इसके बाद ब्रह्माण को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.

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भौम प्रदोष व्रत महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay

प्रदोष शिव-गौरी की कृपा पाने के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन माना जाता है. मान्यता है की यदि आज के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किये जाय तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होकर उसे कार्यो में सफलता मिलती है.

  1. मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान और भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
  2. आज के दिन यदि प्रदोष काल में भगवान शिव को जल में कच्चा दूध मिलाकर स्नान कराया जाय और उनके समक्ष घी का दीया जलाया जाय तो इस उपाय को करने मात्र से हर कार्य में सफलता और मनोकामना सिद्ध होती है
  3. कुश के आसन पर बैठकर शिव जी के मन्त्रों का जाप करें.
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