Pradosh Vrat 2020 Date Time | Pradosh Vrat Poja Vidhi | प्रदोष व्रत 2020

प्रदोष व्रत कब है 2020 Pradosh Vrat Date Time 2020

Pradosh Vratप्रदोष व्रत जिसे त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता हैं। यह व्रत व पर्व माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों के अनुसार मान्यता है की इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु का वरदान मिलता है. शास्त्रों के अनुसार यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है। सूर्यास्त के बाद और रात के आने से पहला का समय प्रदोष काल कहलाता है. जो भगवान शिव की आराधना और इच्छापूर्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. आज हम आपको साल 2020 फरवरी माह में आने वाले प्रदोष व्रत की तिथि पूजा विधि और इससे जुडी सभी महत्वपर्ण बातो के बारे में बताएँगे.

प्रदोष व्रत तिथि Pradosh Vrat January Month Date

शास्त्रों में प्रदोष व्रत को भगवन शिव के साथ जोड़ा जाता है. प्राचीन मान्यता के अनुसार चंद्र को क्षय रोग होने के कारण बहुत कष्ट हो रहा था और जिस दिन भगवान शिव ने उनके इस दोष का निवारण किया वो त्रयोदशी तिथि थी इसीलिए यह दिन प्रदोष कहा जाने लगा। साल 2020 में फ़रवरी माह की 7 तारीख शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शुक्रवार के दिन होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाता है.

प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

शास्त्रों में प्रदोष व्रत की पूजा और मंत्र शाम के समय करना शुभ माना जाता है त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के बाद निराहार व्रत का संकल्प ले. इसके बाद भगवान शिव की बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि पूजन सामग्री से भगवान शिव की पूजा करें। पूरे दिन का उपवास के बाद सूर्यास्त होने से कुछ देर पहले फिर से स्नान करे और शुद्ध वस्त्र धारण करें पूजा स्थल को शुद्ध कर लें और मंडप तैयार करे अब पूजा के लिए उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठकर भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और जल का अर्घ्य दे इसके बाद भगवान शिव को चावल की खीर का भोग लगाए और अंत में व्रत कथा पढ़े व सुने.

शुक्र प्रदोष व्रत के फायदे व महत्व Importance and Benefits of Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत का दिन के अनुसार अलग अलग महत्व होता है यदि यह व्रत रविवार को हो तो उपासक को आयु में वृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. सोमवार का प्रदोष व्रत मनोकामनायों पूर्ती के लिए किया जाता है यदि यह व्रत मंगलवार को हो तो रोगों से मुक्ति दिलाता है बुधवार हो हो तो कामना सिद्ध करता है बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है वही यदि यह व्रत शनिवार को पड़े तो संतान प्राप्ति का वरदान व्यक्ति को प्राप्त होता है जो लोग शुक्र प्रदोष का व्रत करते है उनपर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है।

शुक्र प्रदोष व्रत सावधानियां Shukra Pradosh Vrat Sawdhaniya

  1. शास्त्रों के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत में कुछ सावधानियां को बरतना जरूरी माना गया है जैसे-
  2. इस दिन यदि कोई महिला आपके घर पर आये तो उनका मुँह अवस्य मीठा करे और उन्हें जल दे.
  3. इस दिन घर और घर के मंदिर की साफ-सफाई का जरूर ध्यान रखें।
  4. प्रदोष व्रत में भगवान शंकर जी की पूजा के समय लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है.
  5. इस दौरान मन में दुष्विचार नहीं आने देने चाहिए.

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प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Updhayapan Vidhi

शास्त्रों के अनुसार जो लोग प्रदोष व्रत को 11 या फिर 26 त्रयोदशी तक रखते हैं तो उन्हें व्रत का उद्यापन पूरे विधि विधान से करना चाहिए.

  1. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करे.
  2. प्रदोष व्रत के उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे.
  3. अगले दिन त्रयोदशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप और हवन करे.
  4. हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे.
  5. अंत में दो ब्रह्माणों को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.

शुक्र प्रदोष व्रत महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष दिन होता है. शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार यदि शुक्र प्रदोष व्रत के दिन कुछ उपाय किये जाय तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं और उसकी यश कीर्ति में वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोष के दिन सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देवता को तांबे के लोटे से चीनी मिले जल से अघर्य दें और भगवान शिव के मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। इसके बाद साबुत चावल की खीर बनाकर भगवान शिव को भोग लगाए इस प्रकार शुक्र प्रदोष के दिन इस उपाय को करने से व्यक्ति के सुख समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

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