Nirjala Ekadashi Vrat- निर्जला एकादशी व्रत पूजा दान कथा महत्व

23 june Nirjala Ekadashi Vrat निर्जला एकादशी व्रत तिथि पूजा शुभ मुहूर्त

Nirjala Ekadashi शास्त्रो में एकादशी के व्रत का बहुत अधिक महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी Nirjala Ekadashi  के नाम से जाना जाता है. साल में आने वाली सभी 24  एकादशियों में से यह एकादशी सर्वोत्तम मानी गई है। वैसे तो साल में 24 एकादशियां होती हैं। लेकिन किसी साल में अधिकमास आने के कारण इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इन्हीं में से एक है निर्जला एकादशी मान्यता है की इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है इसिलिये इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 23 जून 2018 शनिवार के दिन है। निर्जला एकादशी का व्रत को पूरे विधि-विधान से रखा जाय तो इसके शुभ फल अवश्य प्राप्त होते है. आज हम आपको निर्जला एकादशी के शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में बताएँगे.

निर्जला एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त Nirjala Ekadashi Vrat Tithi Date Time-

निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी तिथि 23 जून 2018 शनिवार को है. निर्जला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त 23 जून के दिन 03 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी और 24 जून को 03 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. व्रत के पारण का समय 24 जून को 13 बजकर 46 मिनट से 16 बजकर 32 मिनट तक का होगा.

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निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि Nirjala Ekadashi Vrat Pujan Vidhi

एकादशी तिथि के दिन प्रातः काल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे श्रद्धा भाव से भगवान् विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए. जो भी लोग इस एकादशी का व्रत रखते है उन्हें जल से भरे कलश को पूजा स्थल पर रखना चाहिए और बाद में उस पर दक्षिणा रखकर ब्रह्मणो को दान करना चाहिए। शास्त्रों में इस एकादशी पर कलश और गौ दान का विशेष महत्व है। एकादशी का यह व्रत सभी एकादशियों में बहुत ही ख़ास माना गया है. शास्त्रों की माने तो इस व्रत को स्त्री पुरुष दोनों को ही करना चाहिए। व्रत के बाद दान, पुण्य का भी बहुत अधिक महत्व बताया गया है. एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, छतरी, जूता, पंखी तथा फल आदि का दान करना चाहिए।

निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व Importance of Nirjala Ekadashi Vrat Festival

निर्जला एकादशी का यह व्रत ज्येष्ठ की भीषण गर्मी में आता है इस व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना पानी के उपवास करने की मान्यता है इस व्रत को करने से हमें पानी की विशेषता का पता चलता है बहुत से लोग निर्जला एकादशी के दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत करते हैं। कहा जाता है की इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रत के बराबर फल प्राप्त होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और पानी तथा शरबत के दान का विशेष महत्व है.इस एक एकादशी के व्रत को कर लेने से 23 एकादशियों के व्रत का फल एकसाथ मिल जाता है इसीलिए ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।

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