निर्जला एकादशी पूजा विधि Nirjala Ekadashi Puja Vdhi
निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त 2022 Nirjala Ekadashi Date time 2022
- साल 2022 में निर्जला एकादशी व्रत 10 और 11 जून को रखा जायेगा|
- एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी – 10 जून प्रातःकाल 07:25 मिनट पर|
- एकादशी तिथि समाप्त होगी – 11 जून प्रातःकाल 05:45 मिनट पर|
- एकादशी व्रत के पारण का समय होगा – 11 जून दोपहर 01:33 मिनट से सायंकाल 04:04 मिनट तक|
- 12 जून प्रातःकाल 05:58 मिनट से 08:30 मिनट तक|
इन शुभ मुहूर्तों में करें निर्जला एकादशी पूजा 2022 Nirjala Ekadashi Puja Muhurat
- पूजा का अभिजीत मुहूर्त – 10 जून सुबह 11:59 मिनट से दोपहर 12:53 मिनट तक|
- पूजा का शिव योग होगा – 11 जून शाम 08:46 मिनट से 12 जून शाम 05:27 मिनट तक|
- स्वाति नक्षत्र होगा – 11 जून सुबह 03:37 मिनट से 12 जून सुबह 02:05 मिनट तक|
- रवि योग होगा – 10 जून सुबह 5:23 मिनट से 11 जून सुबह 3:37 मिनट तक|
- पूजा का सर्वार्थ सिद्धि योग होगा – 11 जून सुबह 5:23 मिनट से 12 जून सुबह 02:05 मिनट तक|
निर्जला एकादशी पूजा विधि Nirjala Ekadashi Puja Vidhi
Nirjala Ekadashi निर्जला एकादशी व्रत करने वाले जातको को एकादशी से लेकर अगले दिन द्वादशी की सुबह तक निर्जल रहना होता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित कर उन्हें पीले चंदन पीले फल फूल, पीली मिठाई, तुलसी पत्र अर्पण करें. पूजा में उनके मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवायः का जाप करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ कर आरती करे. अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करे. पारण के दिन जल कलश व भोजन, वस्त्र, छतरी, पंखा तथा फल आदि का दान करके व्रत खोले.
निर्जला एकादशी नियम Nirjala ekadashi Niyam
- निर्जला एकादशी सबसे अधिक कठिन व्रतों में से एक है. इस व्रत में जल ग्रहण नहीं करना चाहिए. इस व्रत को निर्जल रहकर पूरा करना चाहिए.
- इस दिन घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन का प्रयोग बिल्कुल भी न करे.
- एकादशी की पूजा में स्वछता का विशेष ख्याल रखे.
- एकादशी तिथि के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
- निर्जला एकादशी के दिन परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें.
- एकादशी व्रत में नमक का सेवन भी वर्जित माना जाता हालाँकि इस दिन आप सेंधा नमक ग्रहण कर सकते हैं।
- एकादशी के दिन पान का सेवन भी नहीं करना चाहिए इस दिन भगवान विष्णु जी को पान अर्पित करने की मान्यता है.
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निर्जला एकादशी व्रत कथा nirjala ekadashi vrat katha
Nirjala Ekadashi पौराणिक कथा अनुसार एक बार भीम ने वेद व्यास जी से कहा कि उनकी माता और सभी भाई उन्हें एकादशी व्रत रखने का सुझाव देते हैं, लेकिन उन्होंने कहा की वो भूखा भी नहीं रह सकते। उनके लिए यह संभव नहीं है. इस पर वेदव्यास जी ने कहा कि भीम, अगर तुम नरक और स्वर्ग लोक के बारे में जानते हो, तो हर माह को आने वाली एकादशी के दिन अन्न मत ग्रहण करो। तब भीम ने कहा कि पूरे वर्षभर में कोई एक व्रत नहीं रखा जा सकता है क्या? हर माह व्रत करना उनके लिए संभव नहीं है क्योंकि उन्हें भूख बहुत लगती है।
भीम ने वेदव्यास जी से निवेदन किया कोई ऐसा व्रत बताये जो साल में एक दिन रखना हो और स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। तब व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया। इस व्रत में अन्न जल ग्रहण करने की मनाही है। द्वादशी सूर्योदय के बाद स्नान कर ब्राह्मणों को दान देकर भोजन कराना चाहिए फिर स्वयं व्रत पारण करे। इस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। वेद व्यास जी की बातें सुनने के बाद भीम निर्जला एकादशी व्रत के लिए राजी हो गए। उन्होंने निर्जला एकादशी व्रत किया। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी कहा जाने लगा।