चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि शुभ मुहूर्त 2022 Navratri Durga Ashtami Kab Hai 2022

चैत्र नवरात्रि महाअष्टमी पूजा विधि Chaitra Navratri Puja Vidhi

Navratri Durga Ashtami Kab Hai 2022Navratri Durga Ashtami Kab Hai 2022 नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी का पूजन, हवन और कन्या पूजन किया जाता है नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि विशेष होती है। आठवीं नवरात्री को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी भी कहते है। महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। इस दिन कन्या पूजन के साथ हवन करके व्रत का पारण कर सकते हैं। आज हम आपको साल 2022 चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि या महाअष्टमी व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन विधि माँ कपसन्दीदा रंग मंत्र भोग और इस दिन किये जाने वाले उपाय के बारे में बताएँगे.

नवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022 Navratri Ashtami Shubh Muhurat 2022

  1. साल 2022 में चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि का व्रत 9 अप्रैल को रखा जायेगा|
  2. अष्टमी तिथि आरंभ होगी – 8 अप्रैल रात्रि 11:05 मिनट पर|
  3. चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 10 अप्रैल प्रातःकाल 01: 24 मिनट पर |
  4. पूजा का अभिजित मुहूर्त रहेगा – 9 अप्रैल दोपहर 12:03 मिनट से दोपहर 12: 53 मिनट तक|
  5. ब्रह्म मुहूर्त रहेगा – सुबह 04:39 मिनट से 05:27 मिनट तक|

माता महागौरी स्वरुप Devi Mahagauri Swaroop

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महागौरी की पूजा का विधान है। महागौरी को सौम्य देवी के रूप में पूजा जाता है। इनका वाहन वृषभ है। साथ ही देवी मां की चार भुजाएं है। मां के एक हाथ में त्रिशूल, एक में डमरू, तीसरा अक्षय मुद्रा और चौथे में वर मुद्रा में हैं। माँ के रूप की पूजा से जातक को मनोवांछित फलो की प्राप्ति होती है.

नवरात्रि अष्टमी पूजा विधि Chaitra Navratri Ashtami Puja Vidhi

माँ का आठवां रूप माता महागौरी परम कल्याणकारी हैं। जो भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती है. आज के दिन स्नानादि के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ कर दुर्गा माँ और गणेश जी की प्रतिमा चौकी पर स्थापित करे. पूजास्थल पर धूप दीप जलाकर उनका आह्वाहन करे. अब मां को रोली, अक्षत, फल, फूल, श्रृंगार का सामान और नैवेद्य अर्पित करें। माता महागौरी को नारियल का भोग लगाए साथ ही उनके मंत्र ॐ महागौरी देव्यै नम: का जाप करें। अब व्रत कथा का पाठ कर आरती कर ले. इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है अगर आप अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते है तो कन्या पूजन कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त करे.

कन्या पूजन विधि Kanya Pujan Vidhi

नवरात्रि में अष्टमी नवमी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है कन्या पूजन के लिए 9 कन्याओं और 1 बालक को आमंत्रित करें यदि 9 कन्याये ना मिले तो 5 या 7 कन्याओं का पूजन भी कर सकते है सबसे पहले कन्याओ को आसान पर बिठाकर उनके पैर धुलवाएं. इसके बाद कन्याओं का टीका करे. इसके बाद सभी को चने, हलवा, पूरी का भोग लगाए और अपनी क्षमता के अनुसार कन्याओं को दक्ष‍िणा या उपहार दें अंत में उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें. मान्यता है की नवरात्रि में कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि का व्रत पूरा होता है.

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कन्या पूजन नियम Kanya Pujan Niyam

  • कन्या पूजन के दौरान कोशिश करें कि 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करे.
  • कन्याओ को घर बुलाने से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए।
  • कन्या पूजन करते समय कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए। बालक को बटुक भैरव और लंगूर के रूप में पूजा जाता है।
  • कन्या पूजन कराते समय घर का माहौल शांतिपूर्ण रखना चाहिए किसी भी तरह के कलेश से बचना चाहिए.
  • इस तरह कन्या पूजन के समय बरती गयी सावधानियां और विधि पूर्वक किये गए कन्या पूजन से माता रानी प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
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