चैत्र नवरात्रि महाअष्टमी कन्या पूजन शुभ योग 2021 Navratri 2021 Durga Ashtami

चैत्र नवरात्रि महाअष्टमी पूजा विधि Chaitra Navratri Puja Vidhi

चैत्र नवरात्रि चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी का पूजन, हवन और कन्या पूजन किया जाता है नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी को महाअष्टमी भी कहते है। ज्योतिष व शास्त्रों की माने तो इस बार अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन कन्या पूजन के लिए शुभ योग बन रही है इन योगो में कन्या पूजा व माँ की आराधना से विशेष लाभ प्राप्त किये जा सकेंगे आज हम आपको साल 2021 चैत्र नवरात्रि महा अष्टमी शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन विधि और नियमो के बारे में बताएँगे.

नवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त 2021 Navratri Ashtami Shubh Muhurat 2021

  1. चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि आरंभ होगी – 20 अप्रैल मंगलवार मध्य रात्रि 12: 01 मिनट पर |
  2. चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 21 अप्रैल बुधवार मध्यरात्रि 12: 43 मिनट पर |
  3. ब्रह्म मुहूर्त रहेगा- सुबह 04:11 मिनट से अगले दिन 04: 55 मिनट तक
  4. अभिजित मुहूर्त रहेगा – सुबह 11:42 मिनट से दोपहर 12: 33 मिनट तक
  5. विजय मुहूर्त रहेगा -दोपहर 02:17 मिनट से दोपहर 03:08 मिनट तक
  6. गोधूलि मुहूर्त रहेगा -शाम 06:22 मिनट से शाम 06: 46 मिनट तक

नवरात्रि अष्टमी पूजा विधि Chaitra Navratri Ashtami Puja Vidhi

माता महागौरी परम कल्याणकारी हैं। जो भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती है. आज के दिन स्नानादि के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ कर दुर्गा माँ और गणेश जी की प्रतिमा चौकी पर स्थापित कर उनका आह्वाहन करे. पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी पूजन सामग्री अर्पित करे और वस्त्र आभूषण से उन्हें शुशोभित करे. अब धुप दीप जलाकर श्री गणेश जी को मोदक और माता महागौरी को नारियल का भोग लगाए साथ ही गणेश के मंत्र श्री गणेशाय नम: और दुर्गा जी के मंत्र दुं दुर्गायै नम: का जाप करें। पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करे.

कन्या पूजन विधि Kanya Pujan Vidhi

शास्त्रों में नवरात्रि नवदुर्गे के पर्व के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने के परंपरा है कन्या पूजन से एक दिन पहले 9 कन्याओं को आमंत्रित करें यदि 9 कन्याये ना मिले तो 5 या 7 कन्याओं का पूजन भी कर सकते है कन्याओं के आने पर उनका स्वागत कर माता के जयकारे लगाए अब सभी कन्याओं के पैर धुलवाएं. इसके बाद कन्याओं का टीका कर आसन पर बिठाएं. इसके बाद सभी को भोग लगाए और अपनी क्षमता के अनुसार कन्याओं को दक्ष‍िणा या उपहार दें अंत में उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें. मान्यता है की नवरात्रि में कन्या पूजन के बाद  ही नवरात्रि का व्रत पूरा होता है.

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कन्या पूजन नियम Kanya Pujan Niyam

  • यदि संभव हो तो कन्या पूजन करते समय कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए। क्योकि बालक को बटुक भैरव और लंगूर के रूप में पूजा जाता है।
  • कन्या पूजन के दौरान कोशिश करें कि 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करे.
  • कन्याओ को घर बुलाने से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए।
  • कन्या पूजन कराते समय घर का माहौल शांतिपूर्ण रखना चाहिए किसी भी तरह के कलेश से बचना चाहिए.
  • इस तरह कन्या पूजन के समय बरती गयी सावधानियां और विधि पूर्वक किये गए कन्या पूजन से माता रानी प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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