Mangala Gauri Vrat Sawan 2018 मंगला गौरी व्रत पूजा विधि शुभ मुहूर्त

मंगला गौरी व्रत महत्व Sawan Mangala Gauri Vrat 2018 Date Puja Vidhi

Mangala Gauri Vrat Mangala Gauri Vrat मान्यताओं के अनुसार हर व्रत का अपना अलग महत्व और उद्देश्य होता है. मंगला गौरी व्रत हर साल सावन के महीने में आता है सावन मास के हर मंगलवार को यह व्रत सुहागन महिलाओं के द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है. इस व्रत में मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों की माने तो मंगलवार के दिन इस व्रत को रखने के कारण इसका नाम मंगला गौरी व्रत रखा गया. ऐसा माना जाता है कि यह व्रत बेहद ही प्रभावशाली और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला होता है. आज हम आपको सावन के महीने में रखे जाने वाले मंगला गौरी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि और महत्व के बारे में बताएँगे. तो चलिए जानते है की इस व्रत को कैसे किया जाना चाहिए.

मंगला गौरी व्रत कब और क्यों और किन्हें करना चाहिए Mangla Gouri Vrat Worship Time Date 2018

जैसा कि मंगला गौरी व्रत Mangala Gauri Vrat के नाम से ही पता चलता है कि इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती को सावन का महीना बहुत ही प्रिय है जिस कारण इस व्रत को सावन माह के प्रत्येक मंगलवार के दिन ही किया जाता है. इस खास व्रत को सभी सुहागन महिलाये अपने सुहाग की लम्बी उम्र की कामना और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती है. इसके अलावा इस व्रत को कुवारी कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति और अपने उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखना चाहिए क्योकि यह व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना गया है.

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सावन मास मंगला गौरी व्रत की संपूर्ण पूजन विधि Mangla Gouri Vrta Sawan Month Pujan Vidhi

शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की सावन के महीने में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को प्रातः स्नान कर मंगला गौरी या माता पार्वती की फोटो/मूर्ति के सामने बैठकर व्रत का सकल्प लेकर अपनी सभी कामनाओं को मन में दोहराना चाहिए. माना जाता है की इस दिन आटे से बने दीपक में 16 बत्तियां जलाकर माता पार्वती की पूजा करना बहुत ही शुभ होता है इसके अलावा यदि संभव हो तोपूजा में सोलह लड्डू,पान, फल, फूल, लौंग, इलायची और सभी सुहाग की सामग्री को पूजा स्थल पर रखकर पूजा करनी चाहिए और व्रत कथा सुननी चाहिए. पूजा समाप्त होने के बाद पूजा में प्रयोग की गयी वस्तुओं को ब्राह्मण को दान करना चाहिए साथ ही माता पार्वती की प्रतिमा को किसी नदीमें प्रवाहित करना चाहिए. जिस तरह सुहाग में सोलह श्रृंगार का महत्व होता है उसी तरह मंगला गौरी व्रत Mangala Gauri Vrat की पूजा में सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होना शुभ होता है. कहा जाता है की किसी भी व्रत का फल तभी प्राप्त होता है जब उसका विधिवत उद्यापन भी किया जाय. पांच वर्ष तक इस व्रत को कारण के बाद पांचवे वर्ष में सावन माह के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करने से पुण्य फलों की प्राप्ति और मनोकामना की प्राप्ति होती है.

मंगला गौरी व्रत का महत्व Sawan Month Mangla Gouri Vrt Importance

शास्त्रों में मंगला गौरी व्रत का बहुत अधिक महत्व बताया गया है इस व्रत को पूरे विधि विधान से करनेपर महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्तिहोती है जिनकी कुंडली में विवाह-दोष होता है या विवाह नहीं हो पा रहा होता है उनके लिए तो मंगला गौरी व्रत बेहद ही शुभ और प्रभावशाली होता है. इस व्रतके प्रभाव से सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है.

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