माघ षट्तिला एकादशी शुभ मुहूर्त 2021 | Maagh Shattila Ekadashi 2021

माघ षट्तिला एकादशी पूजा विधि Maagh Shattila Ekadashi Puja Vdhi 2021

माघ षट्तिला एकादशी माघ षट्तिला एकादशी – शास्त्रों में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं। जिसके कारण पूरे साल में 24 एकादशी व्रत आते हैं। वैसे तो सभी एकादशी के व्रत श्रेष्ठ होते है लेकिन माघ मास की षटतिला एकादशी व्रत का बड़ा पुण्य बताया गया है. कहते है की इस दिन भगवन विष्णु जी का तिल से पूजन करने पर व्यक्ति की सभी अनोकामनाये पूरी होती है है आज हम आपको साल 2021 में माघ मास की षट्तिला एकादशी व्रत की सही तिथि पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इस व्रत के कुछ जरूरी नियमो के बारे में बताएँगे.

षट्तिला एकादशी तिथि व शुभ मुहूर्त 2021 Maagh Shattila Ekadashi Date Time 2021

  1. साल 2021 में माघ षट्तिला एकादशी का व्रत 7 फ़रवरी के दिन रखा जायेगा.
  2. एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी – 7 फ़रवरी प्रातःकाल 06:26 मिनट पर|
  3. एकादशी तिथि समाप्त – 8 फ़रवरी 04:47 मिनट पर|
  4. षट्तिला एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त होगा – 8 फ़रवरी दोपहर 01:42 मिनट से शाम 03:54 मिनट तक |

माघ षट्तिला एकादशी पूजा विधि Shattila Ekadashi Vrat puja Vidhi

षट्तिला एकादशी व्रत के एक दिन पहले यानि दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करे और एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजास्थल पर भगवन विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करे. सबसे पहले प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं फिर चंदन का तिलक करे. पूजा में भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी के पत्ते, पीले फूल व तिल जरूर अर्पित करे. इस एकादशी पर 6 तरह से स्नान,उबटन,आहुति,तर्पण,दान और खाने के रूप में तिल का इस्तेमाल करना चाहिए इसके बाद व्रत कथा पाठ कर आरती कर ले. द्वादशी के दिन पुनः भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का पारण करे और ब्राह्मण को भोजन व क्षमता अनुसार दान देकर विदा करे.

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षट्तिला एकादशी व्रत रखने के नियम Shattila Ekadashi Niyam 2021

  1. षट्तिला एकादशी के दिन संभव हो तो निर्जल उपवास रखना चाहिए.
  2. इस व्रत के नियम तीन दशमी एकादशी और द्वादशी तीन दिन के होते है इसीलिए तीनि दिन सत्सिक भोजन ही ग्रहण करे.
  3. एकादशी के व्रत में तामसिक आहार जैसे प्याज़, लहसुन,बासी भोजन का सेवन बिलकुल न करे.
  4. एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को अपनी सामर्थ्यानुसार ब्राह्मण तथा गरीबों को दान देकर पारणा जरूर करना चाहिए.
  5. इस व्रत में तिल का उपयोग जरूर करना चाहिए.
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