करवा चौथ व्रत पूजा-विधि Karwa Chauth Date Time 2020
करवाचौथ – करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ पूरा दिन निर्जल उपवास कर रात्रि में चंद्र देव की पूजा के बाद व्रत खोलती है. ज्योतिष अनुसार इस बार का करवा चौथ बहुत ही ख़ास है क्योकि करीब 70 सालो के बाद इस बार इस दिन एक विशेष संयोग बन रहा है जो बहुत ही मंगलकारी और महिलाओं को पूजन का फल हजारों गुना अधिक फल देने वाला होगा. आज हम इस वीडियो में इसी शुभ योग और इस शुभ योग में की जाने वाली पूजा विधि के बारे में बात करेंगे.
करवाचौथ व्रत शुभ मुहूर्त 2020 Karwa Chauth Vrat Tithi Shubh Muhurt 2020
- साल 2020 में करवाचौथ का व्रत 4 नवंबर बुधवार के दिन रखा जाएगा|
- चतुर्थी तिथि शुरू होगी – 4 नवंबर बुधवार प्रातःकाल 03:24 मिनट पर|
- चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – 5 नवंबर गुरुवार प्रातःकाल 05:14 मिनट पर|
- करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – शाम 05:34 मिनट से शाम 6:52 मिनट पर|
- करवाचौथ चंद्रोदय का समय होगा – रात्रि 08:12 मिनट पर|
करवाचौथ शुभ योग 2020 Karwa Chauth Shubh Yog 2020
ज्योतिष की माने तो इस बार करवाचौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. इसके साथ ही इसी दिन शिवयोग, बुधादित्य योग, सप्तकीर्ति, महादीर्घायु योगो का भी निर्माण हो रहा है। ये सभी योग बहुत ही महत्वपूर्ण और अद्भुत योग माने जाते है. जिनके प्रभाव से यह दिन अधिक मंगलकारी होगा. जो भी महिलाये इस विशेष योग पर व्रत पूजन करेंगी उन्हें हजारों गुना अधिक मिलेगा. दिन इस बार चंद्रोदय रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगा चंद्रोदय के साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देकर करवा चौथ व्रत पूर्ण किया जा सकेगा.
करवा चौथ व्रत पूजा-विधि Karwa Chauth Vrat Puja Vidhi
करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर पूजास्थल को अच्छी तरह से साफ़ कर ले इसके बाद सास द्वारा दी हुई सरगी सूर्योदय से पहले ग्रहण करे और करवाचौथ व्रत के निर्जल व्रत का संकल्प लेकर व्रत प्रारम्भ करे. इसके बाद पूजा स्थल में कलश स्थापना कर ले और गेरू व पिसे हुए चावलों के घोल से करवा का चित्र बनाकर पूरे शिव परिवार की प्रतिमाये स्थापित करे और उनकी विधिवत पूजा करे माँ गौरी को सुहाग का सामान अर्पित कर ले. अब व्रत कथा पढ़े और सुने अंत में पति की दीर्घायु की कामना करते हुए सास का आशीर्वाद लेकर उन्हें करवा भेंट करे. इसके बाद रात्रि में चंद्रोदय के बाद छलनी से चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देकर धूप दीप जलाकर कर प्रसाद अर्पित करे इसके बाद पति का आशीर्वाद लेकर व्रत सम्पन्न करे.