करवाचौथ व्रत कितनी तारीख को है Karwa Chauth Vrat 2024 Date Time

करवा चौथ पूजा-विधि Karwa Chauth Puja Vidhi

Karwa Chauth Vrat 2024 Date TimeKarwa Chauth Vrat 2024 Date Time पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रो के समापन के बाद करवाचौथ का पर्व मनाया जायेगा. करवाचौथ व्रत कार्तिक माह से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत सुहागन महिलाओ द्वारा पति की लम्बी आयु और तरक्की के लिए निर्जल किया जाता है. पूरे दिन निर्जल व्रत रखने के बाद रात्रि में चन्द्रमा की पूजा कर व्रत का पारण किया जाता है. इस बार करवाचौथ पर कई शुभ योग भी बन रहे है जिस कारण यह बेहद खास होगा. आइये जानते है साल 2024 में करवाचौथ का व्रत कितनी तारीख को है, पूजा का शुभ मुहूर्त, चाँद निकलने का समय, शुभ योग और इसकी पूजा विधि क्या है|

करवाचौथ कब है 2024 Karwa Chauth Vrat 2024

  1. हिंदू पंचाग के अनुसार साल 2024 में करवाचौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा|
  2. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 20 अक्टूबर प्रातःकाल 6:46 मिनट|
  3. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त – 21 अक्टूबर प्रातःकाल 4:16 मिनट|

करवाचौथ व्रत शुभ मुहूर्त 2024 Karwa Chauth Vrat Shubh Muhurat 2024

  1. करवाचौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त – 20 अक्टूबर सायंकाल 05:46 मिनट से 07:02 मिनट तक|
  2. चन्द्रोदय का समय – रात्रि 07:54 मिनट|
  3. चंद्रदर्शन और चन्द्रमा की पूजा के बाद ही व्रत का पारण किया जायेगा|

करवाचौथ शुभ योग 2024 Karwachauth Shubh Yog 2024

ज्योतिष अनुसार इस साल करवाचौथ के दिन व्यतीपात योग, कृत्तिका नक्षत्र, विष्टि, बव, बालव करण बन रहे हैं. इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे. शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की इस संयोग में करवा माता की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सभी सुखो की प्राप्ति होती है. इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर होगा.  ऐसे में सुहागिन महिलाओ को सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करनी चाहिए.

करवा चौथ व्रत पूजा-विधि Karwa Chauth Vrat Puja Vidhi

करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान के बाद सरगी ग्रहण करनी चाहिए. इसके बाद सोलह श्रृंगार करे और पूजा के शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करे. इसके बाद गेरू व पिसे हुए चावलों के घोल से करवा माता का चित्र बनाये. शिव परिवार की प्रतिमा चौकी पर स्थापित कर विधिवत पूजा करे. माँ को सुहाग का सामान अर्पित करे. पूजा के बाद व्रत कथा पढ़े. अंत में सभी की आरती करे. रात्रि में चंद्रोदय के बाद छलनी से चंद्र दर्शन कर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर धूप दीप व प्रसाद अर्पित करे इसके बाद पति का आशीर्वाद लेकर व्रत सम्पन्न करे.

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