कालाष्टमी व्रत 2020 kalashtami Vrat Kab Hai 2020 Me

काल भैरव पूजा विधि kalashtami Date Time Shubh Muhurat 2020

कालाष्टमीप्रत्येक महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी मनाई जाती है.  पौराणिक कथाओ के अनुसार ऐसी मान्यता है की इस तिथि को भगवान शिव अपने भैरव स्वरूप में प्रकट हुए थे। कालाष्टमी के दिन भैरव और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। भगवान काल भैरव को शिव का पांचवा अवतार माना गया है. आज हम आपको साल 2020 फाल्गुन माह कालाष्टमी व्रत की शुभ तिथि पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इस दिन किये जानें वाले उपाय के बारे में बताएँगे.

कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त 2020 kalashtami Date Puja Shubh Muhurat 2020

  1. साल 2020 में कालाष्टमी का व्रत 15 फ़रवरी शनिवार के दिन रखा जाएगा.
  2. फाल्गुन कृष्णा अष्टमी शुरू होगी 15 फ़रवरी शाम 04:29 मिनट पर|
  3. अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 16 फ़रवरी रविवार शाम 03:13 मिनट पर |

कालाष्टमी काल भैरव जयंती पूजा विधि Kaal Bhairav Jayanti 2020

कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव का जन्मदिवस मनाया जाता है शास्त्रों के अनुसार इसकी पूजा रात्रि में की जाती हैं. भैरव बाबा को तांत्रिक देवता भी कहा जाता है इसीलिए इनकी पूजा रात में करने का विधान है. अष्टमी तिथि के दिन स्नान-ध्यान के बाद भगवान भैरवनाथ के मंदिर जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाया जाता है. भगवान भैरव को प्रसन करने के लिए नीले रंग के पुष्प पूजा में अर्पित करने चाहिए और इसके बाद व्रत कथा अवस्य पढ़नी चाहिए. मान्यता है की इस तरह विधि विधान के साथ की गयी पूजा के फलस्वरूप व्यक्ति की मनोकामना तो पूरी होती ही है साथ ही इनकी पूजा करने से किसी चीज़ का भय नहीं रहता और जीवन में समृद्धि आती है.

भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए करे ये उपाय Kalashtami Upay

ऐसा माना जाता है की यदि कालाष्टमी पर कुछ उपाय अपनाकर भगवान भैव नाथ को प्रसन्न कर लिए जाय तो भैरव बाबा भक्त को जीवन में अपार धन, यश और सफलता देते हैं.  कालाष्टमी के दिन किसी मंदिर में जाकर काजल,  कपूर,  चमेली का तेल और सिंदूर इनमे से किसी भी एक चीज का दान करने से धन संबंधी समस्याओं को दूर होती है.

कालाष्टमी काल भैरव कथा Story of Kaal Bhairav

प्राचीन कथाओ के अनुसार एक बार विष्णु और ब्रह्मा जी में श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद को समाप्त करने के लिए महादेव ने सभा बुलाई. जिस सभा में सभी ऋषि-मुनि और महात्मा पधारे. कथाओं के अनुसार शिव ने इस सभा में जो निर्णय लिया वह सभी को मान्य था. लेकिन ब्रह्माजी शिव के इस फैसले से खुश नहीं हुए और उन्होंने भगवान शिव का बहुत अपमान कर दिया। इस अपमान से क्रोधित होकर शिव ने अपना रूद्र रूप धारण कर लिया भगवान शिव द्वारा लिया उनका यह रौद्र रूप ही  कालभैरव कहलाया. भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया बस तभी से भगवान शिव के कालभैरव रूप की पूजा की जाने लगी.

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कालाष्टमी का महत्व Kalashtmi Vrat Importance

कालभैरव भगवान शिव का ही एक रूप है कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है मान्यता है की जो भी कृष्णा अष्टमी तिथि के दिन कालभैरव स्वरुप की सच्चे मन से पूजा करता है तो उसे शिव का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन देवी दुर्गा के काली स्वरुप की पूजा भी की जाती है कालाष्टमी का व्रत और पूजा से हमेशा घर में सुख शांति बनी रहती है और इस व्रत के प्रभाव से किसी भी तरह की नेगेटिव शक्तिया व्यक्ति के जीवन से कोसो दूर रहती है.

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