जीवित्पुत्रिका जितिया व्रत कब है 2022 Jivitputrika 2022 Date Time

जीवित्पुत्रिका पूजा विधि Jivitputrika vrat 2022 Puja Vidhi

Jivitputrika 2022 Date TimeJivitputrika 2022 Date Time शास्त्रों में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत महिलाओं के लिए बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर इस व्रत को करती हैं। इस पर्व को जीवित्पुत्रिका, जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और इसका पारण नवमी तिथि को होता है. यह व्रत भी तीन दिन यानि 36 घंटो तक चलता है. आज हम आपको साल 2022 जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत कि सभी तिथियां और सरगी कब ग्रहण करनी चाहिए इस बारे में बताएँगे.

बनारस पंचांग अनुसार जितिया मुहूर्त 2022 Jivitputrika Puja Date Timing

  1. बनारस पंचांग अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 24 घंटे का होगा.
  2. अष्टमी तिथि शुरू होगी – 17 सितम्बर दोपहर 02:14 मिनट पर |
  3. अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 18 सितम्बर सायंकाल 04:32 मिनट पर |
  4. नहाय खाय की तिथि होगी – 17 सितम्बर शनिवार|
  5. जीवित्पुत्रिका निर्जल व्रत होगा – 18 सितम्बर रविवार|
  6. जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण होगा – 19 सितम्बर सोमवार|

मिथिला पंचांग अनुसार जितिया मुहूर्त Jivitputrika Puja Date Timing

मिथिला पंचांग अनुसार इस बार जितिया व्रत 36 घंटे का होगा| अगर आप इस पंचांग के अनुसार व्रत रखते है तो आपको 16 सितम्बर को नहाय खाय के साथ व्रत शुरू करना चाहिए. 17 सितम्बर को निर्जल व्रत और 18 सितम्बर को शाम 4:49 मिनट के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि Jivitputrika vrat Pujan Vidhi

Jivitputrika 2022 Date Time  इस व्रत में जीमूत वाहन देवता की पूजा की जाती है. व्रत के दिन नित्यकर्म व स्नान आदि के बाद साफ़ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर सूर्य नारायण की प्रतिमा और कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित करे. प्रतिमा को स्नान कराकर धूप, दीप जलाये और पेड़ा, दूब, चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते चढ़ाए. इसके बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाएं अब व्रत कथा पढ़े और आरती करें. इसके अलावा पूजन के समय मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाकर उन्हें लाल सिंदूर लगाए. इस व्रत में माताएं सप्तमी तिथि को यानी नहाए खाए को सूर्यास्त से पहले खाना और जल ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं और अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. उसके बाद अगले दिन यानी नवमी तिथि को व्रत का पारण के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत का समापन करती हैं.

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सरगी कब ग्रहण करे Jivitputrika Sargi

जो लोग मिथिला पंचांग के अनुसार व्रत रखते है उन्हें 16 सितम्बर को नहाय खाय करना होगा तब उन लोगो को सरगी की विधि 17 सितम्बर को प्रातःकाल 4 बजे से पहले कर लेनी चाहिए इसके बाद निर्जल व्रत की शुरुवात हो जाएगी और यह व्रत 18 सितम्बर की शाम तक चलेगा.  वही बनारस पंचांग के अनुसार व्रत रखने वाले लोगो को 18 सितम्बर की सुबह 4 बजे से पहले सरगी की विधि पूरी कर लेनी चाहिए.

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