हरतालिका तीज पूजा विधि Hartalika Teej Puja Vidhi
हरतालिका तीज – हरतालिका तीज का व्रत सभी प्रमुख व्रत त्योहारों में से एक है. शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है. इस दिन हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. यह व्रत सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा निराहार और निर्जल किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत के प्रभाव से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज हम आपको हरितालिका तीज व्रत की शुभ तिथि मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताएँगे.
हरतालिका तीज तिथि व शुभ मुहूर्त hartalika Teej Tithi Shubh Muhurt 2020
- साल 2020 में हरतालिका तीज का व्रत 21 अगस्त शुक्रवार के दिन रखा जाएगा.
- तृतीया तिथि शुरू होगी 21 अगस्त शुक्रवार प्रातःकाल 02:13 मिनट पर||
- तृतीया तिथि समाप्त होगी 21 अगस्त शुक्रवार शाम 11:02 मिनट पर|
- हरतालिका तीज व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त होगा प्रातःकाल 06:05 मिनट से 08:39 मिनट तक|
- पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 34 मिनट की होगी|
- हरतालिका व्रत प्रदोषकाल पूजा का शुभ समय होगा शाम 06:54 मिनट से 09:086 मिनट तक|
- प्रदोषकाल पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 17 मिनट की होगी.
हरतालिका तीज व्रत के नियम Hartalika Teej Worship Tips
शास्त्रों में प्रत्येक व्रत उपवास के जरूरी नियम बताये गए है जिनका पालन व्रती को अवश्य ही करना है तो आइये जानते है हरतालिका तीज व्रत के खास नियम क्या है.
- शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत निराहार और निर्जल रहकर किया जाना चाहिए|
- जो भी महिलाये इस व्रत को रखती है उन्हें हर साल इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
- हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन कर रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करना शुभ होता है.
- हरतालिका तीज व्रत की पूजा मंदिर तथा घर दोनों स्थान में की जा सकती है.
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हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि Hartalika Teej Puja Vidhi
हरतालिका तीज का व्रत हर साल सौभाग्य की कामना के साथ रखा जाता है. इसदिन माता पार्वती और भगवान शंकर का विधिवत पूजा करने का विधान है. हरतालिका तीज का व्रत प्रदोषकाल में किया जाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद का तीन मुहूर्त प्रदोषकाल कहलाता है यह दिन और रात के मिलने का समय होता है। हरतालिका तीज के दिन स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बना ले. पूजा स्थल की सजावट कर एक चौकी पर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करे और इसके बाद धुप दीप जलाकर सभी देवी देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश जी का विधिवत पूजन कर ले. अब सुहाग की सामग्री माता पार्वती को अर्पित कर सौभाग्य की कामना करते हुए व्रत कथा पढ़ ले. अंत में पूजा के बाद सुहाग का सामान ब्राह्मणी को दान देना चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत महत्व Hartalika Teej Importance
हरतालिका तीज शिव पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है. पौराणिक कथाओ के अनुसार ऐसा कहा जाता है की भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने एक शिवलिंग का निर्माण कर भोलेनाथ की आराधना और कठोर तपस्या की थी उनके इसी कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया। जिस कारण इस दिन से ही सुयोग्य वर और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. जो भी यह व्रत पूरी श्रद्धा से रखता है उसे इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है और कुंवारी कन्याओं सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.