हनुमान जयंती व्रत कथा Hanuman Janm Katha Story of Lord Hanuman

हनुमान जी की कहानी Story of Lord hanuman

Hanuman Janm Katha हनुमान जयंती का पर्व सभी प्रमुख पर्वो में से एक है भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाने वाले हनुमान जी के जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी और पिता का नाम वानर राज केसरी है। हनुमान जयंती के दिन राम भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए लोग अपनी-अपनी सामर्थ्य अनुसार उनकी पूजा अर्चना और व्रत उपवास करते है कहते है की हनुमान जयंती के दिन जो भी भक्त हनुमान जी की सच्चे मन से आराधना करते है और आज के दिन हनुमान जन्म कथा का श्रवण या पाठ करते है तो हनुमान जी अपने भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी करते है और उनके संकटो का निवारण करते है.

आइये सुनते है बजरंगबली के जन्म की एक रोचक कथा|

एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले त्रेता युग में अयोध्या नाम की नगरी में राजा दशरथ का बहुप्रख्यात और समृद्ध राज्य हुआ करता था। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं जिनका नाम कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी था। राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी इसीलिए वह बहुत दुखी रहा करते थे.

Hanuman Janm Katha एक दिन राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया। जिसे ऋंगी ऋषि ने संपन्न किया। यज्ञ समाप्त होने के बाद यज्ञ कुंड से अग्निदेव स्वयं खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और राजा दशरथ को दिया राजा ने तीनों रानियों को प्रसाद रुपी वह खीर बांट दी। उसी वक्त रानी कैकेयी के हाथों से खीर का एक भाग चील ने छीन लिया और अपने मुख में भरकर उड़ गई। चील उड़ते हुए देवी अंजनी के आश्रम से होकर गुजरी और उस वक्त देवी अंजनी ऊपर देख रही थी।

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तभी अचानक अंजनी के मुख मे खीर का आंशिक भाग गिर गया देवी अंजनी ने उस खीर को भगवान शिव का आशीर्वाद समझ कर ग्रहण कर लिया यह सब भगवान शिव और वायु देव की इच्छा के अनुसार हो रहा था. इसके बाद देवी अंजनी गर्भवती हुई और उन्होंने चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाने वाले बजरंगबली को जन्म दिया।

तो इसी के साथ ये कथा यही पर ही संपन्न होती है बोलो पवनपुत्र हनुमान की जय ||

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