दीवाली कब है 31 अक्टूबर या 1 नवंबर Diwali 2024 Date Time   

दीपावली शुभ योग 2024 Diwali Puja Vidhi

Diwali 2024 Date Time   Diwali 2024 Date Time    पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग घरो, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मंदिरो को दीयों की रोशनी से रौशन कर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करते है। दीवाली की शुरुवात धनतेरस से होती है भाईदूज के साथ यह पर्व समाप्त होता है. आइये जानते है साल 2024 में दीपावली कब की है 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन बनने वाले शुभ योग क्या है|

दिवाली शुभ मुहूर्त 2024 Diwali Festival 2024 Date Time

  1. अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 31 अक्टूबर सायंकाल 03:52 मिनट पर |
  2. अमावस्या तिथि समाप्त होगी – 01 नवम्बर सायंकाल 06:16 मिनट पर |
  3. साल 2024 में दीवाली का पर्व 1 नवंबर शुक्रवार को मनाया जायेगा|
  4. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त होगा – शाम 05:36 मिनट से रात्रि 06:16 मिनट तक |
  5. प्रदोष काल मुहूर्त्त होगा – शाम 05:36 मिनट से रात्रि 08:11 मिनट तक |
  6. वृषभ काल मुहूर्त्त होगा – शाम 06:20 मिनट से रात्रि 08:11 मिनट तक |

दीवाली लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया मुहूर्त Diwali 2024 Chaughadiya Muhurat

  1. प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – प्रातःकाल 06:33 मिनट से प्रातःकाल 10:42 मिनट
  2. अपराह्न मुहूर्त (चर) – सायंकाल 04:13 मिनट से सायंकाल 05:36 मिनट
  3. अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12:04 मिनट से दोपहर 13:27 मिनट

दिवाली शुभ योग 2024 Diwali Shubh Yog 2024

इस बार दिवाली 1 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन प्रीति योग बन रहा है, जो रात 10:40 मिनट तक रहेगा। इस योग में लक्ष्मी पूजन करने से धन धान्य में वृद्धि के योग बनते हैं।

दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि Dewali Goddess Lakshmi Puja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार दिवाली के दिन प्रदोष काल और निशितकाल में पूजा करना लाभकारी माना जाता है. पूजा के लिए पूजास्थल में एक साफ़ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करे. सबसे पहले पूजास्थल में जल से भरा कलश रखे अब घी का दीपक जलाये. सभी प्रतिमाओं को तिलक कर पूजन सामग्री जैसे- खील, बताशे, पंच मेवा, गुड़, फल-फूल, मिठाई, माँ लक्ष्मी जी को कमल का फूल व कौड़िया अर्पित करे. लक्ष्मी-गणेश जी के मंत्रों का जाप व श्री सूक्त का पाठ करें। पूजा के बाद घर के सभी कोनों में दिए जलाने की परंपरा है|

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