धनतेरस तिथि व पूजन विधि मुहूर्त Dhanteras date time puja shubh muhurt 2018
दिवाली भारत के सभी प्रमुख त्योहारों में से एक है। और इस पर्व की शुरुआत धनतेरस Dhanteras से हो जाती है. पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जानते है मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। इसीलिए इसदिन बर्तन खरीदने की प्रथा है. आज हम आपको धनतेरस के शुभ मुहूर्त पूजा विधि के बारे में बताएँगे.
धनतेरस तिथि शुभ समय dhanteras festival all dates
- धनतेरस तिथि- 5 नवंबर 2018 सोमवार
- धनतेरस पूजा मुर्हुत – 18:05 बजे से 20:01 बजे तक
- प्रदोष काल – 17:29 से 20:07 बजे तक
- वृषभ काल – 18:05 से 20:01 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 5 नवंबर 01:24 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – 5 नवंबर 23:46 बजे
धनतेरस पूजन सामग्री dhanteras pujan samagri
कमल बीज, 5 सुपारी, लक्ष्मी–गणेशजी के सिक्के, 5 प्रकार के मणि पत्थर, अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी पत्र, पान, चंदन, लौंग, नारियल, सिक्के, काजल, दहीशरीफा, धूप, फूल, चावल, रोली, गंगा जल, माला, हल्दी, शहद, कपूर नये, बर्तनआदि|
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धनतेरस पूजन विधि Dhanteras pujan vidhi
कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद धनवंतरी जी अमृत कलश हाथ मे लिए समुद्र से बाहर आए थे। जिस कारण धनतेरस को धनवंतरी जयंती भी कहा जाता है। इस दिन यमराज और भगवान धनवन्तरि जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी व साथ ही कुबेर की पूजा भी की जाती है. धनतेरस के दिन सर्वप्रथम अपने घर की सफाई करें। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार चादी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ माना जाता है धनतेरस के दिन यम देवता के नाम का दीपक जलाने की प्रथा है यम देवता के पूजन के लिए सबसे पहले एक चौकी को धोकर सुखा लें। उस चौकी के बीच में स्वास्तिक बनायें।
अब इसपर सरसों के तेल का दीपक जलायें. दीपक में छेद वाली कौड़ी डाल दें। रोली से दीपक पर तिलक लगायें। दीपक के अंदर थोड़ी चीनी या शक्कर और सिक्का डाल दे. दीपक को हाथ जोड़कर प्रार्थना करे हे| यमदेव हमारे घर पे अपनी दयादृष्टि बनाये रखना और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करना। अब दीपक को उठा कर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाहिनी ओर रख दे इस दिन संध्याकाल के समय यमदेव के निमित्त मुख्य द्वार पर दीपदान करने की प्रथा है मान्यताओं के अनुसार इस दिन विशेष रूप से गृहलक्ष्मी द्वारा दीपदान करने से पूरे परिवार को स्वास्थ्य व आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है.
भगवान् धन्वन्तरि पूजन विधि lord dhanwantari ji pujan vidhi
यम दीप पूजा के बाद भगवान धन्वन्तरि जी की पूजा की जाती है । पूजास्थल पर बैठकर भगवान धन्वन्तरि जी की प्रतिमा को धूप,दीप, अक्षत,चंदन और नैवेद्य अर्पित कर पूजन करे. पूजा के बाद यदि संभव हो तो धन्वन्तरि जी के मंत्र का 108 बार जप करें.