चातुर्मास 2022 में कब से शुरू है Chaturmas 2022 Start Date Time

चातुर्मास में क्या करे क्या न करे Chaturmas Kya Kare Kya Na Kare  

Chaturmas 2022 Start Date TimeChaturmas 2022 Start Date Time पंचांग के अनुसार चातुर्मास का प्रारम्भ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से होता है. साल 2022 में चातुर्मास की शुरुवात 10 जुलाई रविवार से हो रही है. शास्त्रों में चातुर्मास का विशेष महत्व है। हालांकि चातुर्मास में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार नहीं किये जाते लेकिन पूजा पाठ के लिए ये 4 महीने बेहद खास होते है. कहा जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु चार महीने के लिए पाताल लोक में विश्राम करते हैं। ऐसे में सृष्टि के संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक 4 माह आते है। इस दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। आज हम आपको शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास से जुड़े कुछ विशेष नियमो के बारे में बताएँगे जिनका पालन करने से जातकों को शुभ फल प्राप्त होते है। आइये जानते है चातुर्मास या चौमासा से जुड़े नियम कौन से है.

चातुर्मास का प्रारंभ कब होगा

पंचांग के अनुसार, 2022 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 09 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 07:09 मिनट पर हो रहा है. इसका समापन 10 जुलाई को प्रात:काल 04:43 मिनट पर होगा. सूर्योदय से पूर्व ही एकादशी तिथि समाप्त हो रही है इस बार देवशयनी एकादशी 09 और 10 जुलाई को होगी. ऐसे में चातुर्मास का प्रारंभ 10 जुलाई से हो रहा है और इसकी समाप्ति 4 नवंबर को होगी.

पूजा व जप-तप के लिए शुभ

Chaturmas 2022 Start Date Time चातुर्मास या चौमासा में 4 महीने श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक आते है। शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास का यह समय साधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है हालांकि इस दौरान साधना का संचरण नहीं करते हुए एक स्थान पर ही बैठकर साधना करने से शुभ फल प्राप्त होते है चातुर्मास के इन चार महीनों में सावन का महीना सबसे महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है की इस माह में व्यक्ति द्वारा की गयी भागवत कथा, शिव पूजन, धार्मिक अनुष्ठान और दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.

चातुर्मास में क्या करे क्या न करे

  1. चातुर्मास में भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की पूजा कर विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होती है.
  2. चातुर्मास में पांच प्रकार के दान अन्न, वस्त्र, छाता, दीपदान, मंदिर में सेवा करने का विशेष महत्व होता है.
  3. चातुर्मास के चारो महीनो में खान-पान, व्रत के नियम और संयम का पालन करना चाहिए। कहा जाता है की इन 4 महीनो में व्यक्ति की पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है। इससे साथ ही भोजन और जल में बैक्टीरिया भी बढ़ जाते है। इसीलिए इस समय पानी को ऊबालकर पीना लाभकारी होता है।
  4. चातुर्मास के सावन में हरी पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक माह में दालों का सेवन करने से बचना चाहिए. इससे व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है.
  5. चातुर्मास के दौरान सभी बुराईयों का त्याग कर देना चाहिए.
  6. चातुर्मास में व्यक्ति को शांत मन से भोजन करना चाहिए.

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  1. चातुर्मास में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत उपवास रखना चाहिए.
  2. इन 4 महीनो में जप-तप, स्नान, दान करना चाहिए.
  3. चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
  4. चातुर्मास में दूसरों की निंदा करना और सुनना दोनों कार्यो से बचना चाहिए.
  5. इस दौरान मन में किसी भी प्रकार के गलत विचार ना आने दे.
  6. इस दौरान भूमि पर बिस्तर लगाकर शयन करने वाले जातक को भगवान विष्णु जी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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