अपरा अचला एकादशी व्रत कथा महत्व Apara Ekadashi Vrat Shubh Muhurt –
ज्येष्ठ मास में आने वाली कृष्णपक्ष की एकादशी का हमारे शास्त्रों में बड़ा ही महत्व है। 11 मई 2018 को अपरा एकादशी Apara Ekadashi का व्रत है. अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जानते है. पद्मपुराण के अनुसार माना जाता है की अपरा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को प्रेत योनि में जाकर कष्ट नहीं सहना पड़ता है। भगवान् विष्णु जी के लिए यह व्रत रखा जाता है अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के पाचवे अवतार वामन ऋषि की पूजा का विधान है. जो भी इस व्रत को पूरी विधि-विधान के साथ करता है उसका पुण्य कई हजार गुना बढ जाता है। आज हम आपको अपरा एकादशी के व्रत पूजन और शुभ मुहूर्त के बारे में बताएँगे.
अपरा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त Apara Ekadashi Vrat Shubh Muhurt Date Time-
एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी 10 मई 11 बजकर 28 मिनट से और एकादशी तिथि समाप्त 11 मई 2018 11 बजकर 41 मिनट पर.व्रत के पारण का समय है 12 तारिख को 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 40 मिनट तक.
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अपरा एकादशी व्रत पूजा विधि Achla Ekadashi Worship Process –
इस व्रत को करने के लिए व्यक्ति को तन और मन से स्वच्छ होना चाहिए। इस व्रत की शुरूआत दशमी तिथि के दिन से करनी चाहिए दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन व्रती को नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद ही व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम की धूप, दीप, फल, फूल, आदि से पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन निर्जल उपवास करना चाहिए यदि किसी कारण वश ऐसा संभव ना हो तो पानी या एक समय फल आहार ले सकते हैं। अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करना चाहिए पारण के दिन फिर से पूजन करने के बाद कथा पढ़नी चाहिए। इसके बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।
अपरा अचला एकादशी व्रत का महत्त्व Importance of Apara Ekadashi Vrat –
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है की अपरा एकादशी का व्रत करने से गर्भपात, ब्रह्महत्या, राक्षस योनि, झूठ, बुराई व अन्य पापों से मुक्ति मिलती है। इस पुण्य व्रत के प्रभाव, तीर्थ यात्रा, सुवर्ण दान आदि से बढ़कर बताये गए है. कहते है की जो व्यक्ति पूरे विधि- विधान से अपरा एकादशी का व्रत रखता है उसे सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही समस्त पापों से मुक्ति और भगवान विष्णुधाम प्राप्त होता है।