Purushotam Maas 2020 Kab Se Kab Tak 2020 मलमास 2020 कब से कब तक
Adhik Maas- हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त मास आता है जिसे अधिक मास, मल मास या पुरुषोत्तम आदि नामों से जाना जाता है. वही ज्योतिष अनुसार जिस मास में सूर्य संक्रांति नहीं पड़ती उस मास को मलमास, अधिक मास और पुरुषोत्त्म मास कहते है। शास्त्रों में इस माह का विशेष महत्व है। इस दौरान शादी, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं जबकि मलमास में किये गए पूजा-पाठ, भगवत भक्ति, व्रत-उपवास, जप तप जैसे धार्मिक कार्य बेहद लाभकारी होते है. आज हम आपको साल 2020 अधिक मास क्या है मलमास हर तीन साल में क्यों आता है कब से कब तक रहेगा क्या करे क्या ना करे और इस बार मलमास में क्या है विशेष इन सभी बातो के बारे में बताएँगे.
हर तीन साल में क्यों आता है मलमास Adhik Maas 2020
भारतीय हिन्दू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के आधार पर चलता है। प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। इन दोनों सालों के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पूरा करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण मलमास या अधिकमास कहा गया|
अधिक मास कब से कब तक adhik maas kab se kab tak
- पंचांग के अनुसार इस साल का आश्विन माह अधिकमास होगा.
- 17 सितम्बर को पितृपक्ष की सर्वपितृ अमावस्या के बाद मलमास आरंभ होगा.
- साल 2020 में अधिकमास या मलमास का प्रारम्भ 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा.
अधिक मास विशेष संयोग Malmas Vishesh Sanyog 2020
इस वर्ष जो मलमास है, उसे काफी शुभ माना जा रहा है ज्योतिष अनुसार इस बार अधिक मास में विशेष संयोग बन रहा है. यह संयोग करीब 160 सालों के बाद बना है. इस संयोग में लीप ईयर और आश्विन अधिक मास दोनों ही एक साथ आ रहे हैं. इसके बाद ऐसा शुभ मलमास 2039 में आएगा। अधिकमास की शुरुआत 18 सितंबर शुक्रवार को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के शुभ योग में हुई है साथ ही इस महीने में 26 सितंबर और 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा जो लोगों की मनोकामनाएं पूरी करने वाला होगा.
अधिक मास में क्या करे adhik maas kya kare
अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं इसीलिए इस माह में विष्णु मंत्रों का जाप व पूजन से भक्तो को भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होकर उनकी समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं। लोग इस माह में व्रत- उपवास, पूजा- पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, को अपनी दिनचर्या में शामिल करते है पौराणिक कथाओ के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ- हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण सुनना, और पढ़ना विशेष फलदायी होता है। इस मास में किये दान-पुण्य से अश्वमेघ यज्ञ के समान लाभ मिलता है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष में घी, कांसे का पात्र, कच्चे चने, गुड़, तुवर दाल, लाल चंदन, कपूर, केवड़े की अगरबत्ती, केसर खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र का दान करना फलदायी माना जाता है. वही अधिक मास के शुक्ल पक्ष में माल पुआ, खीर, दही, वस्त्र, घी, तिल गुड़, चावल, गेहूं, दूध, शक्कर व शहद आदि वस्तुओं का दान करना शुभ माना गया है..
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अधिक मास में क्या न करे mal maas kya naa kare
मल मास या अधिक मास को मलिन माना गया है जिस कारण इस माह कुछ कार्यो को करने की मनाही होती है शास्त्रों के अनुसार अधिकमास के दौरान विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई वस्तुओं की खरीदारी आमतौर पर नहीं करनी चाहिए.
मलमास का महत्व important of Malmaas
अधिक मास के आराध्य देव भगवान श्री हरी विष्णु है इसीलिए अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता कि अधिक मास या पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान करने से विशेष फलो की प्राप्ति होती हैं और व्यक्ति के जीवन से हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.