4 October 2021 Som Pradosh Vrat आश्विन कृष्ण प्रदोष व्रत 2021

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि 2021 Ravi Pradosh Vrat Poja Vidhi

Som Pradosh Vrat आश्विन कृष्ण प्रदोष व्रत 2021Som Pradosh Vrat आश्विन कृष्ण प्रदोष व्रत 2021 प्रत्येक माह के दोनों पक्षों कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ होता है यदि यह व्रत सोमवार के दिन पड़े तो इसका प्रभाव और महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है इस बार सोम प्रदोष के दिन मासिक शिवरात्रि भी है इस बार भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का विशिष्ट संयोग बन रहा है. धार्मिक दृष्टि से इस दिन भगवान शिव का व्रत और पूजन विशेष फलदायी होगा. आज हम आपको आश्विन माह के पहले प्रदोष व्रत की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्र और सोम प्रदोष के दिन किये जाने वाले अखंड सौभाग्य प्राप्ति महाउपाय के बारे में बताएँगे.

प्रदोष व्रत तिथि Pradosh Vrat October Month Date

  1. साल 2021 आश्विन कृष्ण प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर सोमवार के दिन रखा जाएगा.
  2. प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त होगा- 4 अक्टूबर सायंकाल 06:04 मिनट से लेकर 08:30 मिनट तक|
  3. आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी – 3 अक्टूबर सायंकाल 10:29 मिनट पर |
  4. त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी – 4 अक्टूबर 09:05 मिनट पर |

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत और चतुर्दशी तिथि 04 अक्टूबर सोमवार को है. ये दोनों ही तिथियां भगवन शिव की आराधना के दिन है इस दिन इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले और पूजास्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाये स्थापित कर विधिवत उनकी पूजा करे पूजा में उन्हें चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें. अब शिव पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करे. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल मे की जाती है इसीलिए शाम के समय शुभ मुहूर्त में पुनः भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें साबुत चावल की खीर, शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, फल-फूल, धूप, दीप, पान, सुपारी अर्पण करें. अंत में सोम प्रदोष व्रत कथा सुनकर आरती कर ले.

सोम प्रदोष का महत्व Importance and Benefits of Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत या त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को बेहद प्रिय है त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुखी गृहस्थ जीवन और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है इस व्रत का प्रभाव तब और अधिक होता है जब यह सोम प्रदोष हो क्योकि साथ ही सोम प्रदोष चन्द्रमा से भी जुड़ा है इसीलिए सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ ही कुंडली में चन्द्रमा की स्तिथि मजबूत होती है.

सोम प्रदोष व्रत महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay

  1. सोम प्रदोष के दिन प्रदोष काल के समय शिवलिंग पर चढ़ा जल घर लाकर ‘ॐ नमः शिवाय मंत्र जपते हुए पूरे घर में छिड़काव करने से घर की सारी नकारात्मक शक्तिया दूर हो जाती है.
  2. सोम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के शुभ संयोग में प्रदोष काल में भगवान शिव को जल में कच्चा दूध मिलाकर स्नान कराकर उनके समक्ष घी का दीपक जलाने से प्रत्येक कार्य में सफलता और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है
  3. प्रदोष काल में शिव पूजा के समय तांबे के लोटे से शुद्ध शहद शिवलिंग पर अर्पण करने से सभी परेशानियों का अंत होता है.
  4. सोम प्रदोष के दिन व्रत रखकर चन्द्रमा की पूजा से कुंडली में चन्द्रमा की स्तिथि मजबूत होती है.
  5. सोम प्रदोष के दिन शाम के समय शिवलिंग पर गुलाब के फूलो की माला चढाने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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