कैसे करे नवरात्रो में माँ के नौ रूप की पूजा how to do navratri pooja
नवरात्रे महाशक्ति की आराधना और पूजा का पर्व होता है. ये नवरात्र तीनो देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ अलग-अलग स्वरूपों की उपासना के लिए तय किये गए है. माता के इन नौ स्वरूपों को हम नवदुर्गा के नाम से भी जानते है.
नवरात्रों के पहले तीन दिन पार्वती माता के तीन स्वरूपों की अगले तीन दिन माँ लक्ष्मी जी के स्वरूपों की और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. जिस तरह नवरात्र में नौ दिन मां के नौ रूपों की पूजा होती है ठीक वैसे ही नौ दिन नौ देवियों को नौ अलग-अलग भोग चढ़ाए जाते हैं.
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नवरात्रों के नौ दिन माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा Nine days of Navratra different forms of mother worship
नवरात्रे का पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है. इन नौ दिनों में माँ के नौ रूपों की पूजा करके अलग-अलग भोग लगाया जाता है.
नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा और लगाया जाने वाला first day worship of maa shelputri
प्रथम नवरात्रा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होता है,नवरात्र के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है,इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. इस दिन व्रत करने के बाद माता के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित किया जाना चाहिए इससे माँ आरोग्य का वरदान देती है. माता शैलपुत्री को घी का भोग लगाएं तथा दान करें.
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्माचारिणी की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- second day worship of maa brhamacarini
आश्चिन मास की द्वितीया तिथि के दिन माँ दुर्गा के द्वितीय रुप माता ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है. माता का यह रुप तपस्वनी का है माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रुप में पाने के लिये तपस्या की थी, इसी कारण माता का नाम ब्रह्राचारिणी पडा. नवरात्रे के दूसरे दिन उपवास करके माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है और दान किया जाता है. इस करने से माँ लंबी आयु का वरदान देती है.
नवरात्र के तीसरे दिन माता चन्द्रघंटा कि पूजा और लगाया जाने वाला भोग-third day worship of chandrghanta
आश्चिन मास शुक्ल पक्ष की तृ्तीया तिथि को माता के तीसरे रुप चन्द्रघन्टा की पूजा की जाती है. माँ चन्द्रघन्टा के माथे पर अर्ध्य चन्द्रमा विधमान है. तीसरे नवरात्र के दिन व्रत करके माता को दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग माता को लगाया जाता है. माता चन्द्र घन्टा को खीर का भोग लगाने से दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है.
नवरात्र के चौथे दिन माता कूष्माण्डा की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- fourth day worship of maa cushmanda
नवरात्र के चौथे दिन माता कूष्माण्डा की पूजा अर्चना की जाती है एक मान्यता है कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति माता कूष्माण्डा के उदर से हूई थी. नवरात्र के चौथे दिन व्रत करके माँ को मालपुओं का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाने से बुद्धि का विकास होता है.
नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- fifth day worship of maa skandmata
नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय की माता है. पांचवें दिन माता के इस रुप की आराधना कि जाती है. नवरात्र के पांचवे दिन उपवास के बाद माता को केले का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को केले का भोग लगाने से शरीर स्वस्थ रहता है.
नवरात्र के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- sixth day worship of maa kaatyayni
माता दुर्गा का छठा रुप माँ कात्यायनी का है. आश्चिन मास की षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. माता कात्ययानी ऋषि कात्ययान की पुत्री है. इस दिन माँ को शहद का भोग लगाया जाता है. इससे माँ व्रत करने वाले की आकर्षण शक्ति में वृ्द्धि करती है.
नवरात्र के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- seventh day worship of kaalratri
नवरात्र कि सप्तमी तिथि के दिन माँ कालरात्रि स्वरुप की पूजा की जाती है माँ कालरात्रि का यह रूप बुरी शक्तियों का नाश करने वाला होता है. इसलिये इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. नवरात्रे के सांतवें दिन उपवास करने के बाद माता को गुड का भोग लगाया जाता है.
नवरात्र के आठवे दिन माँ महागौरी की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- eight day worship of maa gauri
नवरात्रों में श्री दुर्गा अष्टमी के दिन माता के आंठवे रुप में महागौरी की पूजा की जाती है. माँ के अत्यधिक गोरे रंग के कारण इनका नाम महागौरी पडा. महागौरी माता को भोग में नारियल का भोग लगाया जाता है. माँ महागौरी निसंतानों की मनोकामना पूरी करती है.
नवरात्र के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा और लगाया जाने वाला भोग- nineth day worship of maa sidhdatri
नवरात्रे का नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा जाती है. सिद्धिदात्री माँ सिद्धियां देने वाली होती है.नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना जाता है.
माता के ये नौ दिन अर्थात नवरात्रों के ये दिन बहुत ही शुभ और पावन माने जाते है इस दिन व्रत करके माँ को भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.
जाने कैसे करें पहली नवरात्री में माँ शैलपुत्री की पूजा
जाने कैसे करें दूसरी नवरात्री में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
जाने कैसे करें तीसरी नवरात्री में माँ चंद्रघंटा की पूजा
जाने कैसे करें चौथी नवरात्री में माँ कूष्माण्डा की पूजा
जाने कैसे करें पांचवी नवरात्री में माँ स्कंदमाता की पूजा
जाने कैसे करें छठी नवरात्री में माँ कात्यायनी की पूजा
जाने कैसे करें सातंवी नवरात्री में माँ कालरात्रि की पूजा