20 April 2020 Som Pradosh Vrat बैशाख कृष्ण प्रदोष व्रत 2020

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि 2020 Ravi Pradosh Vrat Poja Vidhi

Pradosh Vrat -हर महीने की दोनों पक्षों यानि शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक अर्थात प्रदोष काल में की जाती है वैसे तो प्रदोष व्रत बहुत अधिक कल्याणकारी माना जाता है लेकिन यदि यह व्रत सोमवार के दिन पड़े तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है इस व्रत के प्रभाव से चन्द्रमा के शुभ फल मिलते है आज हम आपको बैशाख कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्र और सोम प्रदोष के दिन किये जाने वाले अखंड सौभाग्य प्राप्ति महाउपाय के बारे में बताएँगे.

प्रदोष व्रत तिथि Pradosh Vrat April Month Date

  1. साल 2020 अप्रैल माह का दूसरा या अंतिम प्रदोष व्रत 20 अप्रैल सोमवार के दिन रखा जाएगा.
  2. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त होगा- 20 अप्रैल सोमवार सायंकाल 06:50 मिनट से लेकर 09:02 मिनट तक|
  3. बैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी – 20 अप्रैल प्रातःकाल 12:42 मिनटपर |
  4. त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी – 21 अप्रैल प्रातःकाल 03:11 मिनट पर |
  5. सूर्यास्त के बाद और रात के आने से पहला का समय प्रदोष काल कहलाता है. जो शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ समय कहलाता है इसीलिए आज के दिन प्रदोष काल में पूजा की जाती है.

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

सोमवार के दिन होने के कारण यह सोम प्रदोष होगा इस दिन भगवन शिव की पूजा करने से सुखी वैवाहिक जीवन और योग्य वर की प्राप्ति होने के साथ ही मनकामना सिद्ध होती है इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करे और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करे क्योकि इसकी पूजा प्रदोष काल मे की जाती है इसीलिए शाम के समय शुभ मुहूर्त में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पण करें. इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पण करने से मनोकामना पूरी होती है. अंत में सोम प्रदोष की कथा सुनकर आरती कर ले और सभी में प्रसाद वितरण करे.

सोम प्रदोष का महत्व Importance and Benefits of Pradosh Vrat

त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को बेहद प्रिय है जिस कारण हर महीने आने वाले प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ और पुण्य फलदायी होते है लेकिन इस व्रत का प्रभाव तब और भी अधिक होता है जब यह सोम प्रदोष हो क्योकि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुखी गृहस्थ जीवन और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है  इससे जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रह जाता है

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Updhayapan Vidhi

जो भी लोग प्रदोष का व्रत 11 या फिर 26 त्रयोदशी तक रखते हैं तो शास्त्रों के अनुसार उन्हें व्रत का उद्यापन भी पूरे विधि विधान से अवश्य करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना शुभ होता है. उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप कर हवन कर ले.  हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे. इसके बाद ब्रह्माण को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.

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सोम प्रदोष व्रत महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay

सोम प्रदोष शिव-गौरी की कृपा पाने के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन माना जाता है. मान्यता है की यदि आज के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किये जाय तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होकर उसे कार्यो में सफलता, उत्तम जीवनसाथी और खुशियों से भरा ग्रहथ जीवन प्राप्त होता है.

आज के दिन यदि प्रदोष काल में भगवान शिव को जल में कच्चा दूध मिलाकर स्नान कराया जाय और उनके समक्ष घी का दीया जलाया जाय तो इस उपाय को करने मात्र से हर कार्य में सफलता और मनोकामना सिद्ध होती है साथ ही तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के साथ शिवलिंग पर अर्पण कर ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः मन्त्र का 108 बार जाप करने से सभी तरह की परेशानियों का अंत हो जाता है.

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