शनि व्रत विधि विधान कैसे करे शनिदेव की पूजा और व्रत How to do Shani Dev Vrat
शनि एवं राहु ग्रह की शांति के लिए हिन्दू धर्म में शनिवार का व्रत लिया जाता है. वैसे तो शनीवार का व्रत किसी भी शनिवार से शुरू किया जा सकता है लेकिन अग्नि पुराण की मान्यताओ के अनुसार श्रावण मास या मूल नक्षत्र युक्त शनिवार से व्रत शुरू करने चाहिए. इससे जातक को अच्छे फल प्राप्त होते हैं. मान्यता है की शनिवार के लगातार सात व्रत करने वाले व्यक्ति को शनि ग्रह की समस्या से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा शनिवार के 19, 31 या 41 व्रत भी लिए जा सकते हैं.
शनिवार व्रत विधि Shanivar Vrat Vidhi
शनिवार के व्रत को करने से व्यक्ति के अनेक दुखो का समाधान आसानी से हो जाता है. शनि महाराज को प्रशन्न करने के लिए शनिवार का व्रत करना लाभदायक माना जाता है.
- शनिवार के दिन इस व्रत को प्रारम्भ करने के लिए सुबह उठकर स्नान करना चाहिए.
- इसके बाद पीपल के पेड़ पर तिल और लौंग युक्त जल चढ़ाना चाहिए.
- पीपल के पेड़ में जल चढ़ाते समय शनि देव जी और शनिदेव की आराधना करनी चाहिए.
- इसके बाद शनि देव की मूर्ति के पास बैठकर ध्यान लगाए.
- शनिवार के दिन पूजा समाप्त होने के बाद काला कपड़ा, काली वस्तु भिक्षु को दान करना चाहिए.
- इस दिन एक समय भोजन करना चाहिए तथा भोजन करते समय “शं शनैश्चराय नम” का जाप करना चाहिए.
- व्रत के अंतिम दिन व्यक्ति को शनि देव की आराधना करते हुए हवन करना चाहिए.
शनिवार व्रत का फल Benefits of Shanivar vrat
शनिवार को व्रत करने से व्यक्ति के शनि ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं तथा व्यक्ति शनि के कठोर प्रकोप से बच जाता है साथ ही व्यक्ति के घर में सुख-शांति और सम्रद्धि बनी रहती है.