वास्तु अनुसार बाथरूम बनाने के टिप्स
घर का वातावरण स्वास्थ्यानुकूल व सकारात्मक बनाने के लिये अपने घर की साफ़ सफाई रखनी आवश्यक होती है साथ ही हमें स्वस्थ रहने तथा पूरे दिन की स्फूर्ति, ताजगी के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ रखने के लिये शरीर की रोजाना सफाई करनी भी आवश्यक होती है.
इसके लिए घरों में बाथरूम बनाए जाते हैं. बाथरूम को अगर वास्तु के नियमों के अनुसार बनाया जाये तो यह सुखो की वृद्धि में सहायक होता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार हमारे घर की स्थिति और घर में रखी हर वस्तु का अलग-अलग प्रभाव होता है, जिसका असर वहां रहने वाले लोगों पर पड़ता है. आज कल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना आम बात है लेकिन वास्तु के अनुसार इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है. जिसके कारण घर में रहने वालों को अनेक बार कई गम्भीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. इस समस्या से बचने के लिए बाथरूम टॉयलेट को साथ ना बनाए तथा इसका निर्माण वास्तु शास्त्रों के अनुसार ही करें.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में स्नानघर को हमेशा पूर्व दिशा को ओर बनाना चाहिए यह इसके लिए उचित दिशा मानी जाती है.
- यदि बाथरूम-शौचालय को साथ में बनाना हो तो इन्हे घर के नैरूत व दक्षिण दिशा के मध्य में या नैरूत व पश्चिम दिशा के मध्य में बनाना उचित माना जाता है.
- यदि आपका घर पश्चिममुखी हो तो ऐसे घरों में स्नानघर पूर्व या वायव्य दिशा में बनाना उचित माना गया है.
- यदि घर पूर्व मुखी है तो ऐसे घरों में बाथरूम को आग्नेय व पूर्व के मध्य बनाना लाभदायक होता है.
- घर यदि उत्तरमुखी है तो बाथरूम को वायव्य व उत्तर के बीच में बनाना उचित रहता है.
- बाथरूम में यदि बाथ टब रखा गया हो तो उसे हमेशा ईशान या पूर्व दिशा की ओर ही लगाना चाहिए.
- बाथरूम के शीशे को उत्तर दिशा में लगाना शुभ माना जाता है.
- जब भी आप बाथरूम में नहाए तो पूर्व की ओर चेहरा कर के नहाएं. पूर्व की ओर चेहरा कर के नहाना शुभ माना जाता है.
- घर के बाथरूम का नल यदि टपकने वाला हो तो उसे तुरंत ठीक करा लें. घर में नल टपकना शुभ नहीं माना जाता है.
- यदि आपका घर दक्षिणमुखी हो तो इसे वायव्य में बनाना उचित रहता है.
- यदि घर में गीजर हो तो उसे ईशान हिस्से में कभी भी ना लगाए. इसके अलावा आप इसे पूर्व या आग्नेय दिशा की तरफ लगा सकते हैं.
- बाथरूम में शावर ईशान या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए. यह शुभ माना जाता है.