करवा चौथ व्रत पूजा कैसे करें How to Celebrate Karva Chauth 2017 –
करवा चौथ व्रत पूजन विधि- करवा चौथ व्रत सुहागिन स्त्रियों का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। अपने पति की दीर्घायु के लिए महिंलाए इस दिन व्रत पूजा करती है. करवा चौथ व्रत कार्तिक माह के चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को महिलाओं द्वारा किया जाता है।
इस साल करवाचौथ का व्रत 8 अक्टूबर रविवार के दिन है. आज हम आपको करवा चौथ व्रत का शुभ मुहरत और पूजा विधि के बारे में बताएँगे.
करवा चौथ की शुभ मुहूर्त Karwachouth Shubh Muhurt –
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = 05 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक
समयावधि = 1 घंटा 14 मिनट (74 मिनट)
चन्द्रदर्शन का समय = 08:14
चतुर्थी तिथि आरंभ- 4:58 (8 अक्टूबर )
चतुर्थी तिथि समाप्त- 2:16 (9 अक्टूबर)
करवा चौथ व्रत पूजन विधि सामग्री Karwachouth Poojan Samagri –
करवा चौथ व्रत के दिन की पूजा सामग्री में 35 से अधिक पूजन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है. जिनमे अगरबती, चन्दन, शहद, शक्कर, देशी घी, मिठाई, फूल, दीपक, रुई, कपूर, मिटटी का बना दीपक, गौरी के लकड़ी का तख्ता या आसन,भोजन के लिए पूरी अनाज में मुख्यत गेहू या फिर चावल, स्वच्छ जल का कलश, शिव पार्वती की तस्वीर या फिर मूर्ति, सिंदूर, मेहँदी, चुनरी समेत सुहागन स्त्री के 16 श्रृंगार की सामग्री, इत्यादि.
करवा चौथ करवा चौथ व्रत पूजन विधि Karwachouth Pooja Vidhi –
सबसे पहले बता दे कि हर क्षेत्र के अनुसार पूजा करने का विधान और कथा अलग-अलग होता है यही वजह है कि अलग अलग क्षेत्र में पूजा करने की विधि और कथा में अंतर पाया गया है। करवा चौथ व्रत पूजन विधि, सूर्य उदय होने से पहले स्नान कर करवाचौथ का व्रत रखने का संकल् करें और सास दृारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार की सामग्री दी जाती है। इसके साथ ही ध्यान रखें कि इस दिन प्याजऔर लहसुन से बनी सामग्री का सेवन भूलकर भी ना करे.
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सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत प्रारम्भ शुरु हो जाता है। माता पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें.
अब इसके बाद दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस चित्रित करने की कला को ही करवा धरना कहते है जो कि बहुत ही बड़ी और पुरानी परंपरा है।
करवा चौथ व्रत पूजन विधि, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और मीठे पकवान बनाएं। और इसके बाद पीली मिट्टी से माता गौरी और गणेश जी का स्वरूप स्थापित करे.
माँ गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्हें लाल रंग की चुनरी, अन्य सुहाग, श्रींगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रख दे। वायना अथार्त भेट देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। और उसके ऊपर दक्षिणा रखें।
रोली के प्रयोग से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। माँ गौरी और भगवन गणेश जी के स्वरूपों की पूजा आराधना करें और मंत्र का जाप करें.
करवा चौथ व्रत पूजन विधि, अब करवा चौथ की कथा सुनानी या फिर सुननी चाहिये। कथा सुनने के बाद अपने परिवार के सभी वरिष्ठ लोगों का चरण स्पर्श कर ले. रात के समय चन्द्र दर्शन का इन्तजार करे और चन्द्रमा के दिख जाने पर छननी से चाँद को निहारकर अपने पति के पैरो को छूकर सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त करे. चन्द्र दर्शन के पश्चात अपने पति के पास बैठकर उन्हें भोजन करवाए. तत्पश्चात खुद भी करें।