शनि जयंती 2020 सुख समृद्धि उपाय Shani Amavasya Upay 2020
ज्येष्ठ अमावस्या शुभ मुहूर्त 2020 Jyestha Amavasya 2020 Date
- साल 2020 में ज्येष्ठ अमावस्या शनि jayanti और वट सावित्री व्रत 22 मई शुक्रवार के दिन है.
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 21 मई गुरुवार रात्रि 09:35 मिनट पर|
- अमावस्या तिथि समाप्त होगी- 22 मई शुक्रवार रात्रि 11:08 मिनट पर|
शनि अमावस्या दुर्लभ योग 2020 Shani Amavasya Shubh Yog 2020
साल 2020 में शनि अमावस्या के दिन बेहद ही दुर्लभ योग बनने जा रहा है ज्योतिष अनुसार इस साल करीब 972 सालों के बाद 4 ग्रह वृषभ राशि में सूर्य बुध चंद्र और शुक्र एकसाथ होंगे. शनि और गुरु का एक होना बेहद खास होगा और आगे 500 सालों तक ऐसा योग नहीं बनेगा जिस कारण ये शनि अमावस्या बहुत ही लाभकारी होने वाली है. शस्त्र्रो के अनुसार इस अध्भुत तिथि का लाभ लेने के लिए आज के दिन कुछ न कुछ उपाय आपको जरूर करने चाहिए.
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शनि अमावस्या पूजा विधि Shani Amavasya Pooja Vidhi
शास्त्रों के अनुसार शनिदेव का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस बार 22 मई को शनिदेव जयंती, शनि अमावस्या और वट सावित्री का व्रत एकसाथ दुर्लभ योग में आयी है इसीलिए आज के दिन की पूजा विशेष होगी इस दिन सर्वप्रथम स्नान कर है. भगवान शनिदेव की पूजा जरूर करे. यदि आज सिद्ध विधि से पूजा की जाए तो इसका फल अवश्य ही मिलता है। शनि देव की पूजा में शनि मंत्र- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:।’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप करते समय शनिदेव को तेल अर्पित कर तेल के दीपक से आरती करें और सभी की सुख-समृद्धि की कामना करें.
शनि देव की पूजा के नियम Shani dev Puja Niyam
शनि देवता न्याय के देवता और सभी नव ग्रहो में सबसे शक्तिशाली है ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल जरूर देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं रह सकता इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व और कुछ विशेष नियम बताये गए है तो आइये जानते है इस दिन कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं.
है.
- शनिदेव की पूजा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी भी तरह की अशुद्धि न होने दे.
- शनि अमावस्या शनि जयंती पर विशेष रूप से पूजा कर दर्शन करे.
- शनि देव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करने से शनि दोष से जल्दी छुटकारा मिलता है।
- शनि देव को उनकी पूजा में लाल रंग के फूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें नीला फूल जरूर चढ़ाएं।
- शनि देव की प्रतिमा के दर्शन करते समय उनकी प्रतिमा की आंखों में नहीं देखना चाहिए।
- शनि देव की पूजा किसी अन्य दिशा की बजाय पश्चिम दिशा में करनी चाहिए क्योकि पश्छिम दिशा उनकी ही दिशा मानी गयी है.
- शनिदेव की पूजा में हमेशा काले तिल और खिचड़ी का भोग के रूप में इस्तेमाल करे। शनिदेव को काला तिल अर्पित करने पर व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों की छाया दूर हो जाती है।