संकट चौथ पूजन विधि Sakat Til Chauth Puja Vidhi
Sakat Til Chauth 2025 Date Time 2025 हिन्दू कैलेंडर में माघ का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत किया जाता है. इसे तिलकुटा चौथ, तिलचौथ, माघी चौथ, आदि नामों से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश जी के साथ-साथ भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, और चंद्रदेव की पूजा का विधान है। इस व्रत को महिलाये संतान प्राप्ति और संतान के सुखी जीवन की कामना से करती है आइये जानते है साल 2025 में सकट चौथ व्रत की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, चन्द्रोदय का समय, पूजा विधि, व्रत कथा और नियम क्या है|
संकट चौथ शुभ मुहूर्त 2025 Sankashti Chaturthi Date Time Shubh Muhurat 2025
- साल 2025 में संकट चौथ या तिल चौथ का व्रत 17 जनवरी शुक्रवार को रखा जायेगा|
- चतुर्थी तिथि शुरू होगी – 17 जनवरी प्रातःकाल 04:06 मिनट|
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 18 जनवरी प्रातःकाल 05:30 मिनट|
- चन्द्रोदय का समय – 17 जनवरी रात्रि 09:09 मिनट|
संकट तिल चौथ पूजन विधि Sankashti Chaturthi Pooja Vidhi 2025
संकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर शिव परिवार का पूजन करना चाहिए. सबसे पहले एक चौक पर मिटटी से बनी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर प्रतिमा का श्रृंगार करे. अब प्रतिमा को रोली, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, सुपारी, धूप – दीप अर्पित करे. पूजा में “ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करते हुए नैवेद्य के रूप में तिल तथा गुड़ के बने हुए लड्डु अर्पित करे. अंत में व्रत कथा पढ़े और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करे.
सकट चौथ व्रत के नियम Sankat Chauth Vrat ke Niyam
- सकट चौथ व्रत निर्जल व्रत की मान्यता है ऐसे में संभव हो तो निर्जल व्रत करना चाहिए.
- इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करना चाहिए.
- इस दिन भोग में तिलकुट का भोग लगाना शुभ होता है.
- चतुर्थी पर गणेश जी खंडित प्रतिमा की स्थापना या पूजा नहीं करना चाहिए.
- धार्मिक मान्यता अनुसार पूजा में भगवान गणेश को तुलसी दल या केतकी के फूल नहीं चढाने चाहिए.
- इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
संकट चौथ व्रत कथा Sankat Chaturthi Story in Hindi
संकट चौथ की कथा अनुसार एक बार विपदा में पड़े देवता भगवान शिव के पास अपनी समस्या के निवारण के लिए गए तब भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों से पुछा की तुम दोनों में से कौन वो वीर है जो देवताओं के कष्टों का निवारण करेगा. तब कार्तिकेय ने स्वयं को देवो का सेनापति प्रमाणित करते हुए देव रक्षा का अधिकार सिद्ध किया| भगवान शिव ने गणेश जी की इच्छा पूछी तो उन्होंने कहा की में बिना सेनापति बने ही इनके संकट दूर कर सकता हूँ. इसपर महादेव ने दोनों को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा और कहा की जो पहले परिक्रमा पूरी करेगा वही वीर घोषित किया जाएगा. यह सुन कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश जी ने अपने माता पिता की 7 परिक्रमा करते हुए कहा की इनमे ही समस्त तीर्थ निहित है गणेश जी की बात से सभी नतमस्तक हो गए और महादेव ने उनकी प्रसंशा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया की प्रत्येक कार्य से पहले तुम्हारी पूजा होगी. इसके बाद पिता की आज्ञा से गणेश जी ने देवताओं के संकटो को भी दूर किया.