शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि 2020 Shani Pradosh Vrat Poja Vidhi
प्रदोष व्रत तिथि Pradosh Vrat January Month Date
साल 2020 मार्च माह का दूसरा या अंतिम प्रदोष व्रत 21 मार्च शनिवार के दिन रखा जाएगा. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है इसे चंद्र मास के तेरहवें दिन अर्थात कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा. सूर्यास्त के बाद और रात के आने से पहला का समय प्रदोष काल कहलाता है. जो शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ समय कहलाता है.
प्रदोष व्रत पूजा सामग्री Pradosh Vrat Pujan Samgri
प्रदोष व्रत में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है लेकिन यह शनि प्रदोष कारण शनिदेव की पूजा करने से और लाभ प्राप्त करने के लिए बहुत ही खास रहेगा. शनि प्रदोष पूजा के लिए ताँबे का लोटा, दूध, वस्त्र, चावल, धुप दीप, चन्दन, फूल, बेलपत्र, नारियल, पान, सुपारी आदि सभी जरूरी सामग्री अपनी श्रद्धानुसार रख ले. शास्त्रों में कृष्ण त्रयोदशी अधिक फलदायी और प्रभावशाली मानी जाती है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi
प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत की तैयारी शुरू करे शनि प्रदोष के कारण इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा में काले तिल, उरद व तेल का इस्तेमाल जरूर करे. शनि प्रदोष के दिन की पूजा और मंत्र शाम के समय अर्थात प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है प्रातः सर्वप्रथम भगवान शिव की आराधना कर उन्हें बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि सभी पूजन सामग्री अर्पित करते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और जल का अर्घ्य दे आज के दिन महादेव को चावल की खीर का भोग लगाए और व्रत कथा पढ़े व सुने भगवान शिव की पूजा के बाद शनिदेव की पूजा कर उन्हें काले तिल, उरद व तेल अर्पित करे और शनि चालीसा का पाठ कर ले मान्यता है की जो भी आज के दिन भगवान शिव पार्वती और शनिदेव की विधिवत पूजा करता है तो इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में धन धान्य प्राप्त होता है और सभी दुखो से छुटकारा मिलता है.
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शनि प्रदोष का महत्व Importance and Benefits of Pradosh Vrat
त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को बेहद प्रिय है जिस कारण हर महीने आने वाले प्रदोष व्रत पुण्य फलदायी होते है लेकिन भगवान शिव और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि प्रदोष बहुत खास होता है शनि प्रदोष का व्रत करने से शनि के सभी दोषो से छुटकारा मिलता है. शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की प्रदोष काल के दौरान साक्षात् भगवान शिव शिवलिंग पर अवतरित होते है इसीलिए इस समय की गयी उनकी आराधना से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है.
शनि प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Updhayapan Vidhi
जो भी लोग शनि प्रदोष का व्रत 11 या फिर 26 त्रयोदशी तक रखते हैं तो शास्त्रों के अनुसार उन्हें व्रत का उद्यापन भी पूरे विधि विधान से अवश्य करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना शुभ होता है. उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप कर हवन कर ले. हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे. इसके बाद ब्रह्माण को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.
शनि प्रदोष व्रत महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay
शनि प्रदोष शिव-गौरी के साथ-साथ शनिदेव की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है मान्यता है की यदि आज के दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किये जाय तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होकर उसे यश कीर्ति और धन संपत्ति का वरदान प्राप्त होता है.
- शनि प्रदोष के दिन शनिदेव को प्रसन्न कर शनि दोषो के दुष्परिणामों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें तिल का भोग लगाए और अपनी श्रद्धा के अनुसार जरूरतमंदो को काली चीजों का दान करे.
- शनि प्रदोष के दिन शनि देव के नाम से तेल का दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
- आज के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने और जल का अर्घ्य देने से व्यक्ति को भगवान शिव और शनिदेव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.