जीवित्पुत्रिका जितिया व्रत 2024 कब है Jivitputrika Shubh Muhurat 2024

जीवित्पुत्रिका पूजा विधि Jivitputrika vrat 2024 Puja Vidhi

Jivitputrika Shubh Muhurat 2024Jivitputrika Shubh Muhurat 2024 जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है इसे जितिया और ज्यूतिया व्रत भी कहते है यह व्रत महिलाये संतान की दीर्घायु और पुत्र प्राप्ति की कामना से भी रखती है. यह 24 घंटे का निर्जल व्रत होता है इस व्रत के नियम तीन दिन के होते है आइये जानते है साल 2024 में जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत कब है, पूजा और पारण का शुभ मुहूर्त, व्रत के नियम, नहाय खाय व खुर जितिया कब है और इस व्रत को कैसे किया जाता है|

जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त 2024 Jivitputrika Puja Date Timing

  1. साल 2024 में जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितम्बर बुधवार को रखा जाएगा|
  2. नहाय खाय की तिथि होगी – 24 सितम्बर|
  3. अष्टमी तिथि शुरू होगी – 24 सितम्बर दोपहर 12:38 मिनट पर|
  4. अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 25 सितम्बर दोपहर 12:10 मिनट पर|
  5. पूजा का शुभ मुहूर्त – 25 सितम्बर सुबह 10:41 मिनट से लेकर दोपहर 12:12 मिनट तक|
  6. लाभ-उन्नति मुहूर्त – प्रातःकाल 06:11 मिनट से प्रातःकाल 07:41 मिनट|
  7. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त – प्रातःकाल 07:41 मिनट से प्रातःकाल 09:12 मिनट|
  8. व्रत का पारण होगा – 26 सितंबर गुरुवार प्रातःकाल 04:35 मिनट से 05:23 मिनट|

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि Jivitputrika vrat Pujan Vidhi

जितिया व्रत में व्रती महिला को प्रातःकाल स्नान के बाद साफ़ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर सूर्य नारायण और जीमूतवाहन की प्रतिमा को स्नान कराकर स्थापित करना चाहिए. प्रतिमा के समक्ष धूप, दीप जलाकर सभी पूजन सामग्री और मिठाई अर्पित करे. सप्तमी तिथि को नहाए खाय के दिन सूर्यास्त से पहले खाना और जल ग्रहण कर व्रत की शुरुआत होती हैं अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता हैं. उसके बाद अगले दिन यानी नवमी तिथि को व्रत के पारण के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत का समापन करना चाहिए.

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जीवित्पुत्रिका / जितिया व्रत के नियम Jitiya Vrat Ke Niyam

  1. जितिया व्रत तीन दिनों का होता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.
  2. तीनो दिन सात्विकता का ख्याल रखते हुए तामसिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  3. जितिया व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए.
  4. व्रत के बाद सामर्थ्यनुसार दान करना चाहिए.
  5. नहाय खाय को सूर्यास्त से पहले भोजन और जल ग्रहण कर लेना चाहिए.
  6. जितिया व्रत को निर्जल करने की परंपरा है.
  7. नवमी को व्रत के पारण के बाद ही व्रत खोलना चाहिए.
  8. इस व्रत के दिन जीमूतवाहन भगवान् की व्रत कथा सुननी चाहिए।
  9. इस व्रत में पारण के बाद पूजा में अर्पित किया लाल या पीले रंग का धागा गले में पहना चाहिए.
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