हलषष्ठी व्रत पूजन विधि Hal Shashti Puja Vidhi
हल षष्ठी कब है 2021 – हलषष्ठी का पर्व हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है जिस कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इस पर्व को बलराम जयंती या ललई छठ के रुप में मनाया जाता है। इस दिन सभी पुत्रवती महिलाएं द्वारा पुत्रों की दीर्घायु और उनकी सम्पन्नता के लिए पूजा की जाती है. आज हम आपको साल 2021 में हल षष्ठी व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में बताएँगे.
हलषष्ठी तिथि व शुभ मुहूर्त 2021 Hal Shashti Shubh Muhurat
- साल 2021 में हलषठी 28 अगस्त को मनाई जाएगी.
- कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ होगी –27 अगस्त शाम 6.50 मिनट पर |
- कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त होगी – 28 अगस्त रात्रि 8:55 मिनट पर|
हलषष्ठी व्रत पूजन विधि Hal Shashti Puja Vidhi
हल षष्ठी कब है 2021- माताएं हलषष्ठी का व्रत संतान की खुशहाली एवं दीर्घायु की प्राप्ति के लिए रखती हैं और नवविवाहित स्त्रियां भी संतान की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प ले और पूजा-अर्चना के बाद पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करे फिर शाम के समय पूजा-आरती के बाद फलाहार किया जाता है. व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस का गोबर से छठ माता का चित्र बनाकर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करे. घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगा ले और वहां पर बैठकर पूजा एवं हलषष्ठी की कथा सुने.
हलषठी व्रत के नियम Hal Shashti Niyam
- प्रत्येक व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम है इस दिन व्रत के दौरान अनाज नहीं खाना चाहिए.
- इस दिन व्रती महिला को महुआ की दातुन करना चाहिए.
- हलषष्ठी व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
- इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं. जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि.
- इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है.
इसे भी पढ़े – जानें अपना वार्षिक राशिफल 2021.
हल षष्ठी व्रत का महत्व Hal Shashti Mahatava
हल षष्ठी कब है 2021- हल षष्ठी व्रत महिलायें अपने पुत्रों व संतान की दीर्घायु के लिए रखती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान हलधर व्रती महिला के पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं और और सुख समृद्धि का वरदान देते है. मान्यता है की इस व्रत के प्रभाव से पुत्र पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं.