छठ पूजा 2023 पूजा विधि Chhath Pujan Vidhi
छठ पूजा तिथि व शुभ मुहूर्त 2023 Chhath Puja Tithi Shubh Muhurat
- साल 2023 में छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी और इसका समापन 20 नवंबर 2023 को होगा|
- छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय – प्रातःकाल 06:46 मिनट|
- छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय – शाम 05:26 मिनट|
- षष्ठी तिथि प्रारम्भ – 18 नवम्बर प्रातःकाल 09:18 मिनट पर|
- षष्ठी तिथि समाप्त – 19 नवम्बर प्रातःकाल 07:23 मिनट पर|
- नहाय खाय तिथि – 17 नवंबर शुक्रवार |
- खरना तिथि – 18 नवंबर शनिवार|
- संध्या अर्घ्य – 19 नवंबर रविवार|
- उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण होगा- 20 नवंबर |
17 नवंबर 2023 पहला दिन नहाय खाय First day of Chhath Puja
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती लोग घर की साफ-सफाई कर स्नान के बाद नए वस्त्र धारण करते हैं और शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं.
18 नवंबर 2023 दूसरा दिन खरना Second Day of Chhath Puja
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इस दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इस दिन गु़ड़ और चावल की खीर का प्रसाद मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाकर ग्रहण किया जाता है इस प्रसाद को खाने के बाद से निर्जल व्रत शुरू होता है. इस दिन नमक नहीं खाया जाता|
19 नवंबर 2023 तीसरा दिन संध्या अर्घ्य Third Day of Chhath Puja
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बाँस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल से बने लड्डू आदि चीजों से सूप सजाया जाता है और व्रत करने वाला व्यक्ति अपने परिवार के साथ सांध्यकाल के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देता है. सूर्य देव को जल और दूध का अर्घ्य देने के बाद सजाये गए सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य उपासना के बाद छठी मैय्या के गीत गाकर व्रत कथा सुनी जाती है।
20 नवंबर 2023 चौथा दिन उषा काल अर्घ्य Fourth Day of Chhath Puja
छठ पर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है. चौथे दिन यानि सप्तमी तिथि को प्रातःकाल सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए किसी नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता हैं और छठ मैय्या से अपने परिवार की सुख समृद्धि कि कामना की जाती है. इसी दिन व्रत का पारण भी किया जाता है.
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छठ पूजा महत्व Chhath Puja Niyam
शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के दिन व्रत रखकर सूर्य भगवान और छठी मैय्या की उपासना करने से संतान की सभी प्रकार के कष्टों से रक्षा होती है. इसके अलावा संतान की खुशहाली और तरक्की के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.