चैत्र नवरात्रि अष्टमी नवमी तिथियां Navratri Durga Puja Kalash Sthapana 2026
Chaitra Navratri 2026 Kab Shuru Hai पंचांग के अनुसार पूरे साल भर में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमे 2 गुप्त और 2 सामान्य नवरात्रि होती है. चैत्र और आश्विन माह की नवरात्रि सामान्य नवरात्री होती है. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. हिन्दू नववर्ष का शुभारम्भ भी चैत्र प्रतिपदा से ही माना गया है. नवरात्रि के इन 9 दिन माता के नौ अलग-अलग रुपों का पूजन किया जाता है. अष्टमी, नवमी को कन्या पूजन कर व्रत का पारण किया जाता है. आइये जानते है साल 2026 में चैत्र नवरात्रि कब से शुरू और कब समाप्त होगी, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अष्टमी नवमी कब है|
चैत्र नवरात्री शुभ मुहूर्त 2026 Chaitra Navratri 2026 Muhurat
- साल 2026 में चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ 19 मार्च से होगा और समाप्ति होगी 27 मार्च|
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 19 मार्च प्रातःकाल 06:52 मिनट पर
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 20 मार्च प्रातःकाल 04:52 मिनट पर
- कलश स्थापना शुभ मुहूर्त – प्रातःकाल 06:52 मिनट से प्रातःकाल 07:43 मिनट तक
- कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:05 मिनट से दोपहर 12:53 मिनट तक
नवरात्रि व्रत तिथियां 2026 navratri all dates 2026
- प्रतिपदा व घटस्थापना – 19 मार्च 2026
- द्वितीया तिथि – 20 मार्च 2026
- तृतीया तिथि – 21 मार्च 2026
- चतुर्थी तिथि – 22 मार्च 2026
- पंचमी तिथि – 23 मार्च 2026
- षष्ठी तिथि – 24 मार्च 2026
- सप्तमी तिथि – 25 मार्च 2026
- अष्टमी तिथि – 26 मार्च 2026
- नवमी तिथि – 27 मार्च 2026
कलश स्थापना विधि Chaitra Navratri 2026 Kalash Sthapana
मान्यता अनुसार नवरात्रि के पहले दिन कलश या घट स्थापना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि में प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले और पूजास्थल पर कलश या घट स्थापना करे. कलश स्थापना से पहले मिट्टी से भरे बर्तन में सप्त धान्य बौ ले इसके ऊप्पर जल से भरा एक कलश रखे.
कलश में रोली से स्वस्तिक बनाकर इसके ऊपरी भाग में कलावा बाँध ले. कलश के ऊपर अशोक या आम के 5 पत्ते रखें और कलश में हल्दी की गांठ, सिक्का, सुपारी व दूब डाल दे. इसके बाद एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें. घटस्थापना करने के बाद गणेश जी और समस्त देवी देवताओ का आह्वाहन कर विधिवत माता शैलपुत्री की पूजा करे.