भाई दूज 2 नवंबर या 3 नवंबर 2024 Bhaidooj 2024 Date Time

भाईदूज शुभ मुहूर्त 2024 Bhaidooj Shubh Muhurat 2024

Bhaidooj 2024 Date TimeBhaidooj 2024 Date Time भाईदूज भाई – बहन को समर्पित पर्व है जो दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया भी कहते है। इस दिन बहनें शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती है। आइये जानते है साल 2024 में भाई दूज कितनी तारीख को है, भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त, शुभ योग, पूजा विधि और यम द्वितीया का महत्व क्या है|

भाईदूज शुभ मुहूर्त 2024 Bhaidooj Shubh Muhurat 2024

  1. साल 2024 में भाईदूज का पर्व 3 नवंबर रविवार को मनाया जायेगा|
  2. द्वितीया तिथि प्रारम्भ होगी – 2 नवंबर रात्रि 08:21 मिनट पर|
  3. द्वितीया तिथि समाप्त होगी – 3 नवंबर रात्रि 10:05 मिनट पर|
  4. अभिजीत मुहूर्त- प्रातःकाल 11:39 मिनट से दोपहर 12:23 मिनट
  5. तिलक मुहूर्त होगा – दोपहर 01:10 मिनट से सायंकाल 03:22 मिनट तक|

भाई दूज शुभ योग 2024 Bhaidooj Shubh Yog 2024

पंचांग के अनुसार 3 नवंबर को भाई दूज के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दिन में 11:40 मिनट तक है. उसके बाद से शोभन योग है जो पूरी रात तक है. ये दोनों ही योग शुभ हैं. साथ ही इस दिन अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक रहेगा|

भाईदूज पूजा विधि Bhaidooj 2024

भाई दूज के दिन भाई-बहिन दोनों को प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर इष्टदेव की पूजा करनी चाहिए. पूजा की थाली में कुमकुम, चंदन, फल-फूल, मिठाई, पान-सुपारी या सूखा नारियल रखे. सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश जी और फिर भगवान विष्णु की पूजा करे. शुभ मुहूर्त में भाई को चौक पर बिठाकर उनका तिलक करें. तिलक के बाद पान, सुपारी, फूल, और नारियल भाई को दे और अंत में भाई की आरती कर सुख समृद्धि की कामना करे.

भाई दूज / यम द्वितीया का महत्व bhaidooj mahatva

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं यानी यम की द्वितीया| शास्त्रों के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई को कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन घर बुलाया, यमराज के आने से वे काफी खुश हुईं. उन्होंने यमराज का आदर-सत्कार किया तो यम भी बहुत प्रसन्न हैं. उन्होंने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया कि जो भी भाई इस तिथि को अपनी बहन के घर जाएगा, उसे अकाल मृत्यु या यम का भय नहीं होगा. तभी से यह दिन प्रचलित हुआ.

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