अक्षय तृतीया 2025 शुभ मुहूर्त Akshaya Tritiya Shubh Muhurat 2025

अक्षय तृतीया सही तारीख 2025 Akshaya Tritiya Date 2025

Akshaya Tritiya Shubh Muhurat 2025Akshaya Tritiya Shubh Muhurat 2025 पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया या आखा तीज का पर्व हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इस दिन सोना – चांदी व अन्य धातु की खरीददारी करना शुभ होता है. यह तिथि अबूझ मुहूर्त होती है इस दिन कोई भी कार्य बिना मुहूर्त निकाले किये जा सकते है. आइये जानते है साल 2025 में अक्षय तृतीया कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन कक महत्व क्या है.

अक्षय तृतीया तिथि शुभ मुहूर्त 2025 Akshaya Tritiya Muhurat 2025

  1. साल 2025 में अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल बुधवार को मनाया जाएगा|
  2. तृतीया तिथि प्रारंभ – 29 अप्रैल सायंकाल 05:31 मिनट पर|
  3. तृतीया तिथि समाप्त – 30 अप्रैल दोपहर 02:12 मिनट पर|
  4. पूजा का मुहूर्त– 30 अप्रैल प्रातःकाल 05:41 मिनट से दोपहर 12:18 मिनट तक|

अक्षय तृतीया खरीददारी के शुभ मुहूर्त Akshaya Tritiya 2025 Muhurat

  1. अक्षय तृतीया पर खरीदारी का शुभ समय – सुबह 05:41 मिनट से शुरू होकर दोपहर 02:12 मिनट तक रहेगा.
  2. अक्षय तृतीया शुभ चौघड़िया मुहूर्त – प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत)- सुबह 05:41 मिनट से सुबह 09:00 बजे
  3. प्रातः मुहूर्त (शुभ)- सुबह 10:39 मिनट से दोपहर 12:18 मिनट

अक्षय तृतीया पूजा विधि Akshaya Tritiya Puja Vidhi

अक्षय तृतीया के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करे और एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। फिर, मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, गणेश जी और कुबेर देव की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमाओं पर गंगाजल छिड़कें, कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं, फूल-माला चढ़ाएं इसके बाद अक्षत, दूर्वा, पान, सुपारी, नारियल अर्पित करें। फल, मिठाई और मखाने की खीर का भोग लगाएं। अंत में कनकधारा स्तोत्र, कुबेर चालीसा और गणेश चालीसा का पाठ कर आरती करें.

अक्षय तृतीया महत्व Akshaya Tritiya Mahatva

शास्त्रों में अनुसार अक्षय तृतीया के दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं आज के दिन किये गये कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य, खरीददारी, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है। आज के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का भी महत्व है। इसी दिन परशुराम जी का जन्म हुआ था। जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

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