अहोई अष्टमी पूजा विधि Ahoi Ashtmi vrat 2023 Puja Vidhi
अहोई अष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त 2023 Ahoi Ashtmi Puja Date Timing
- साल 2023 में अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवम्बर रविवार के दिन रखा जाएगा|
- पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – शाम 05:33 मिनट से शाम 06:52 मिनट तक |
- कुल अवधि – 01 घण्टा 18 मिनट्स
- चंद्रोदय का समय होगा – रात्रि 12:02 मिनट |
- तारों को देखने के लिये साँझ का समय – सायंकाल 05:58 मिनट|
- अष्टमी तिथि शुरू होगी – 5 नवम्बर प्रातःकाल 12:59 मिनट पर |
- अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 6 नवम्बर प्रातःकाल 03:18 मिनट पर |
अहोई अष्टमी शुभ योग 2023 Ahoi Ashtmi Shubh Yog 2023
पंचांग के अनुसार साल 2023 में 5 नवंबर के दिन अहोई अष्टमी के साथ ही राधा कुण्ड स्नान, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी भी मनाई जाएगी जिससे इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जायेगा. मान्यता है की अहोई अष्टमी के दिन राधाकुण्ड में स्नान या डुबकी लगाने से श्री कृष्ण की प्रियसी राधा रानी का आशीवार्द प्राप्त होता है और सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है.
अहोई अष्टमी पूजा विधि Ahoi Ashtmi vrat Pujan Vidhi
शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन व्रती महिला को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान के बाद निर्जल व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सबसे पहले पूजा के लिए घर की साफ़ दीवार पर अहोई माता, सेह व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं और वहां पर जल से भरा कलश रखे. इस दिन सायंकाल तारे दिखाई देने के समय पूजा का विधान है पूजा में चांदी की अहोई बनाये. साँझ के समय में अहोई माता को रोली-चावल, कुमकुम व अन्य सभी पूजन सामग्री अर्पित कर मीठे पुए का भोग लगाएं। अब हाथों में गेहूं के दाने लेकर व्रत कथा पढ़ें या सुने और आरती करें रात्रि में तारों को देखने के समय में अर्घ्य देकर व्रत सम्पन्न करे.
अहोई अष्टमी क्या करे क्या न करे Ahoi Ashtmi vrat Niyam
- ऐसी मान्यता है की अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सिलाई और मिट्टी से सम्बंधित कार्य नहीं करने चाहिए.
- इस दिन अहोई माता की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
- अहोई अष्टमी का व्रत का पारण तारे निकलने के बाद तारों को अर्घ्य देकर ही पूरा करना चाहिए.
- व्रत की कथा सुनते समय हाथ में अनाज रखकर कथा सुनना शुभ होता है.
- इस व्रत को निर्जल रहकर करने की परंपरा है.
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- इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
- व्रत के बाद जरूरतमंदो को दान देने से व्रत का पुण्य कहीं अधिक बढ़ जाता है.
- अहोई माता, मां पार्वती का ही स्वरूप हैं और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय हैं. इसलिए इस दिन पूजा के दौरान पूरे शिव परिवार की पूजा करें.
- अहोई अष्टमी की पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या गाय को भोजन जरूर कराएं.