छठ महापर्व 2016 पूजा, व्रत, शुभ मुहूर्त और छठ पर्व का महत्व Chhath parv ki tayari aur mahtva

क्या है छठ पर्व Kya hai Chhath parv

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छठ पूजा 2016 की तारिख व शुभ मुहूर्तChath pooja 2016 date aur muhurt

  • छठ पर्व की तिथि – 6 नवम्बर 2016, रविवार
  • सूर्योदय छठ की तिथि – प्रातः काल 06:36, 6 नवम्बर 2016
  • सूर्यास्त छठ की तिथि – सांय काल 05:32, 6 नवम्बर 2016
  • षष्ठी तिथि प्रारंभ- सुबह 10:47 बजे से, 5 नवम्बर 2016
  • षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 12:16 बजे तक, 6 नवम्बर 2016

छठ पर्व की कहानी Chhath parva ki kahani

छठ पर्व से सम्बंधित कई कहानियां प्रचलित है ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी.सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्तो में से एक थे वे रोज सूर्य भगवान को कई घंटों तक पानी में खड़े अर्घ्य देते थे. छठ पर्व से सम्बंधित एक और कहानी प्रचलित है जो पाडवो द्वारा अपना सारा राजपाठ हार जाने पर  दौपदी द्वारा रखे गए छठ व्रत से जुडी है. छठ व्रत से उनकी सभी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को उनका सारा राजपाठ वापिस मिल गया था. 

छठ पूजा से सम्बंधित टिप्स Chhath pooja se relative tips

छठ पर्व सूर्योपासना का सबसे प्रसिद्ध पर्व है छठ व्रत दीपावली के छठे दिन मनाये जाने का विधान है सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण ही इसे छठ कहा जाता है. यह पर्व साल में दो कार्तिक और चैत्र में मनाया जाता है.

कैसे की जाती है छठ पर्व में पूजा Kaise ki jaati hai Chhath pooja

छठ पर्व महोत्सव चार दिवसीय होता है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को शुरू और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को पूरा होता है. इस दिन लोग बिना अन्न जल के पूरे 36  घंटों तक व्रत रखते है.

छठ पर्व के विभिन्न पड़ाव Chhath pooja ke vibhinna padaav

छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है इसीलिए इसके चार अलग-अलग पड़ाव है.

पहला दिन नहाय खाय Pehla padaav nahaay khaay

पहले दिन यानी कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपने घर कि साफ़ सफाई करते है और घर को पूरी तरह से शुद्ध करते है. जो भी लोग इस व्रत को करते है वह शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करते है. 

दूसरा दिन खरना Dusara din kharna

दूसरा दिन यानी कि कार्तिक शुक्ल पंचमी इस दिन व्रत करने वाले लोग दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते है. दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है. खरना का प्रसाद आस पास के सभी लोगो में बांटा जाता है  इस दिन गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी से चुपड़ी रोटी बनाई जाती है इस दिन नमक और चीनी का  उपयो नहीं किया जाता है.

तीसरे दिन डूबते सूरज की पूजा होती है Teesre din soobte suraj ki pooja

तीसरे दिन यानी कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी इस दिन छठ प्रसाद बनाया जाता है प्रसाद में ठेकुआ जो कही कही टिकरी के नाम से भी मसहूर है. इस दिन प्रसाद में चावल के लड्डू भी बनाये जाते है. शाम के समय एक बाँस की टोकरी में अर्घ्य देने वाले सूप को सजाया जाता है इसे लेकर लोग पैदल ही सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते है और सामूहिक रूप से सूर्य को अर्घ्य देते है सूर्य भगवान् को को जल और दूध से अर्घ्य देकर छठी मैया की प्रसाद से भरे सूप से पूजा की जाती है.

चौथा दिन उगते सूरज की पूजा होती है Choutha dina ugte suraj ko pooja

चौथे दिन यानि कि कार्तिक शुक्ल सप्तमी इस दिन सभी लोग सुबह उगते हुए सूर्य कि पूजा करते है और अर्ध्य देते है सभी लोग घाट पर फिर से उसी जगह पर इकठ्ठा होते है जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ दिया होता है और फिर कच्चे दूध का शरबत पीकर अपना व्रत खोलते है.

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