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आचार्य बालकृष्ण जी के प्रेरणादायक सुविचार Acharya Balkrishna Thoughts and Quotes

आचार्य बालकृष्ण जी के अनमोल ज्ञानवर्धक विचार Best Thoughts of Acharya Balkrishna

आचार्य बालकृष्ण का जन्म 4 अगस्त 1972 में हुआ. बालकृष्ण जी की माता जी का नाम सुमित्रा तथा पिता का नाम जय बल्लभ था. आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद के आचार्य और योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी हैं इसके अलावा वे आयुर्वेद केन्द्र पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष भी हैं. बालकृष्ण जी संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त किया तथा जड़ी-बूटियों के प्रचार-प्रसार का कार्य भी कर रहे हैं.

सुविचार (Quotes) 1. आनन्द प्राप्ति हेतु त्याग व संयम के पथ पर बढना होगा।

सुविचार (Quotes) 2. मेरे पूर्वज, मेरे स्वाभिमान। 

सुविचार (Quotes) 3. जब आत्मा मन से, मन इन्द्रिय से और इन्द्रिय विषय से जुडता है, तभी ज्ञान प्राप्त हो पाता है। 

सुविचार (Quotes) 4. जो मनुष्य मन, वचन और कर्म से, गलत कार्यो से बचा रहता है, वह स्वयं भी प्रसन्न रहता है।

सुविचार (Quotes) 5. गुणों की व्रध्दि और क्षय तो अपने कर्मों से होता है। 

सुविचार (Quotes) 6. असंयम की राह पर चलने से आनन्द की मंजिल नहीं मिलती। 

सुविचार (Quotes) 7. जो किसी की निन्दा स्तुति में ही अपने समय को बर्बाद करता है वह बेचारा दया का पात्र है, अबोध है।

सुविचार (Quotes) 8. आयुर्वेद हमारी मिट्टी हमारी संस्कृति व प्रक्रति से जुडी हुई निरापद चिकित्सा पध्दति है। 

सुविचार (Quotes) 9. गुण और दोष प्रत्येक व्यक्ति में होते हैं, योग से जुडने के बाद दोषों का शमन हो जाता है और गुणों में बढोतरी होने लगती है।

सुविचार (Quotes) 10. घ्रणा करने वाला निन्दा, द्वेष, ईर्ष्या करने वाले व्यक्ति को यह डर भी हमेशा सताये रहता है कि जिससे मैं घ्रणा करता हूँ कहीं वह भी मेरी निन्दा व मुझसे घ्रणा न करना शुरु कर दे।

सुविचार (Quotes) 11. सज्जन व कर्मशील व्यक्ति तो यह जानता है कि शब्दों की अपेक्षा कर्म अधिक जोर से बोलते हैं। अत: वह अपने शुभकर्म में ही निमग्न रहता है।

सुविचार (Quotes) 12. शरीर स्वस्थ और निरोग हो तो ही व्यक्ति दिनचर्या का पालन विधिवत कर सकता है, दैनिक कार्य और श्रम कर सकता है।

सुविचार (Quotes) 13. आयुर्वेद वस्तुत: जीवन जीने का ज्ञान प्रदान करता है, अत: इसे हम धर्म से अलग नहीं कर सकते। इसका उद्देश्य भी जीवन के उद्देश्य की भांति चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति ही है। 

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