साइनस के लिए सुझाव तथा अचूक घरेलू उपचार
आजकल की अनियमित जीवन शैली में लोग अपनी सेहत का सही प्रकार से ख्याल नहीं रख पाते. जिसे कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. साइनस नाक में होने वाला एक रोग है. आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है. साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व सांस वाली हवा की नमी को युक्त करते हैं.
साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती ही है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है. जब किसी व्यक्ति को साइनस का संक्रमण हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति के सिर में भी अत्यधिक दर्द होने लगता है. नाक का रोग होने के कारण व्यक्ति को सांस लेने में रुकावट, हड्डी का बढ़ना, तिरछा होना, साइनस भरना तथा एलर्जी जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इस समस्या का सही समय पर उपचार ना करने के कारण अस्थमा और दमा जैसे कई गंभीर रोग हो सकते हैं. इसलिए कुछ घरेलु उपायों की मदद से हम इस समस्या से रहत पा सकते हैं.
साइनस होने के कारण
आमतौर पर साइनस होने का सबसे बड़ी वजह हमारा पर्यावरण है. हमरे पर्यावरण में जो धूल तथा प्रदूषण उतपन्न होता है उसके कारण साइनस की समस्या होने लगती है. प्रत्येक व्यक्ति काम के सिलसिले में बहार निकलते हैं तो इस दौरान धूल और वायुमंडल में फैला प्रदूषण उनकी नाक में चला जाता है, जो बाद में साइनस की समस्या के रूप में उभर कर हमें दिखने लगता है. इसके अलावा अनेक बार लोगो को एलर्जी, नाक में टय़ूमर या नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या चोट की वजह तथा यह बीमारी आनुवंशिक कारणों से भी हो सकती हैं.
साइनस के लक्षण
- आवाज में बदलाव
- सिर में दर्द
- नाक या गले में बलगम आना
- सिर का भारी होना
- रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द होना
- तनाव या निराशा होना
- रोगी के चेहरे पर सूजन व नाक से पीला या हरे रंग का द्रव गिरना
साइनस की समस्या को दूर करने के घरेलु उपाय
प्याज का प्रयोग
प्याज हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में काफी सहायक होता है. यह साइनस की समस्या को आसानी से दूर करता है. रोजाना अपने आहार में प्याज को शामिल करें. इससे साइनस की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है.
लहसुन का प्रयोग
लहसुन जैसे तीखे खाद्य पदार्थों से साइनस की समस्या से आसानी से राहत मिलती है. इन खाद्य पदार्थों की की कुछ मात्रा ले सकते हैं और उन्हें धीरे – धीरे बढ़ा सकते हैं. अपने नियमित भोजन में लहसुन को शामिल करे. इससे साइनस रोग को दूर किया जा सकता है.
अधिक पानी पीए
रोजाना अधिक से अधिक मात्रा में पानी पिए. पानी हमारे शरीर के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. स्वस्थ शरीर के लिए शरीर में उचित मात्रा में पानी होना अनिवार्य है.
नमक और बेकिंग सोडा का उपयोग
साइनस की समस्या होने पर करीब आधा लीटर पानी में एक चम्मच नमक और बेकिंग सोडा मिला लीजिए. अब इस पानी के मिश्रण से नाक को धोए. इससे साइनस की समस्या को आसानी से कम किया जा सकता है.
गाजर के रस का प्रयोग
गाजर के रस में अनेक पोष्टिक गुण पाये जाते हैं. जिनके द्वारा साइनस की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है. कुछ समय तक गाजर के रस का सेवन करने से साइनस की समस्या को दूर किया जा सकता है.
गाजर, चुकंदर, खीरे या पालक का रस
एक ग्लास गाजर का रस में चुकंदर, खीरे या पालक के रस मिला कर इसका सेवन करें. कुछ समस्य तक इस मिश्रण के सेवन से साइनस के लक्षणो के उपचार में मदद मिलेगी.
जैतून का तेल
साइनस की समस्या होने पर अपनी नाक और आंखों के चारों ओर नाक की रनिंग को रोकने के लिए जैतून का तेल लगाएं. इससे साइनस की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है.
साइनस की समस्या को दूर करने के लिए योग
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार से अधिकतर रोगों को दूर किया जा सकता है. इससे साइनस की समस्या से भी राहत मिलती है. सूर्य नमस्कार को करने के लिए सुबह को उगते हुए सूरज की तरफ मुंह करके करना चाहिए. इससे शरीर में ऊर्जा उतपन्न होती है साथ ही साइनस की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है.
अनुलोम-विलोम
अनुलोम-विलोम को करने से सांस से सम्बंधित बीमारी ठीक करने में मदद मिलती है. साइनस होने पर आप सबसे पहले आप पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाए. फिर अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से भीतर की ओर सांस खीचें. अब बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद करें. दाएं छिद्र से अंगूठा हटा दें और सांस छोड़ें. अब इसी प्रक्रिया को बाएं छिद्र के साथ दोहराएं. अनुलोम-विलोम को रोजाना करीब 10 मिनट तक करें. इससे साइनस की समस्या से राहत मिलेगी.
भस्त्रिका अभ्यास विधि
भस्त्रिका आसान को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन, सिद्धासन, सुकासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं. अब अपने हाथो को घुटनों पर रख कर आंखों को ढीला बन्द कर लीजिए. इसके बाद अपनी नाक से हल्के झटके से सांस अन्दर और बाहर कीजिए. पहले इस क्रिया को धीरे-धीरे करें फिर इसकी क्रिया को बढ़ाते जाए. इस प्राणायाम को 3 से लेकर 5 मिनट तक रोज करे.
कपालभाति
कपालभाति में श्वास को शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में ही पूरा ध्यान दिया जाता है. इसमें श्वास को भरने के लिए प्रयत्न नहीं करते क्योकि सहजरूप से जितना श्वास अन्दर चला जाता है. इस प्राणायाम को 5 मिनिट तक अवश्य ही करना चाहिए. प्रणायाम करते समय जब-जब थकान अनुभव हो तब-तब बीच में विश्राम कर लें. प्रारम्भ में पेट या कमर में दर्द हो सकता है. वो धीरे धीरे कम हों जायेगा.